Move to Jagran APP

सोनिया को नहीं थी उम्मीद कि कांग्रेस छोड़ देंगे सिंधिया, लंच पर ले गए थे राहुल लेकिन नहीं जोड़ पाए तार

राहुल गांधी ने सिंधिया की कांग्रेस हाईकमान से संवाद नहीं होने के दावे को खारिज कर दिया है। उन्‍होंने कहा है कि सिंधिया ही एक ऐसे शख्स थे जिनके लिए मेरे घर के दरवाजे खुले रहते थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 10:38 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 07:18 AM (IST)
सोनिया को नहीं थी उम्मीद कि कांग्रेस छोड़ देंगे सिंधिया, लंच पर ले गए थे राहुल लेकिन नहीं जोड़ पाए तार
सोनिया को नहीं थी उम्मीद कि कांग्रेस छोड़ देंगे सिंधिया, लंच पर ले गए थे राहुल लेकिन नहीं जोड़ पाए तार

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस हाईकमान से संवाद नहीं होने के ज्योतिरादित्य सिंधिया के दावे को राहुल गांधी ने खारिज कर दिया है। राहुल ने कहा है कि ज्योतिरादित्य ही एक ऐसे शख्स थे जिनके लिए उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। कांग्रेस हाईकमान के करीबी सूत्रों ने तो यह भी कहा कि पारिवारिक निकटता के चलते ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उम्मीद नहीं थी कि सियासी खींचतान के इस प्रकरण में सिंधिया पार्टी छोड़ने तक का बड़ा फैसला कर सकते हैं।

loksabha election banner

सिंधिया को लंच पर लेकर गए थे राहुल

दस जनपथ से जुड़े करीबी सूत्रों के अनुसार सिंधिया को हाईकमान से मुलाकात और संवाद का समय नहीं दिए जाने की बात बिल्कुल गलत है। यह दावा भी सच्चाई से परे है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदरूनी खींचतान का समाधान निकालने के लिए सिंधिया को कोई विकल्प नहीं दिया गया। हकीकत यह है कि फरवरी के आखिरी हफ्ते में विदेश दौरे पर रवाना होने से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ जारी तनातनी खत्म करने का फार्मूला निकालने के लिए राहुल गांधी ने सीधे ज्योतिरादित्य से बात की थी। राहुल इसके लिए सिंधिया को अपने साथ बाहर लंच पर लेकर गए थे, जहां दोनों की लंबी बातचीत हुई थी।

संतुष्ट नहीं थे सिंधिया

इसमें राहुल ने सिंधिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने का भरोसा दिया क्योंकि तब राज्यसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई थी। हालांकि राहुल के इस आश्वासन के बाद भी सिंधिया संतुष्ट नहीं थे कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह मिलकर सूबे की सियासत में उनको किनारे लगाने का काम नहीं करेंगे। इसके बाद सोनिया गांधी ने भी सिंधिया को बुलाकर उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया। सिंधिया ने खुद इस पेशकश को लेकर रुचि नहीं दिखाई।

इरादों को भांप नहीं पाया आलाकमान

हाईकमान के इस करीबी सूत्र का यह भी कहना है कि सिंधिया के करीब एक साल से असंतुष्ट होने की बात से नेतृत्व वाकिफ था। इसीलिए उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार और प्रदेश अध्यक्ष बनने दोनों का विकल्प दिया गया। इस पर राजी नहीं होने का मतलब साफ है कि सिंधिया ने पार्टी छोड़ने का मन पहले ही बना लिया था। हालांकि हाईकमान से उनका संबंध इतना करीब का था कि सोनिया और राहुल दोनों ही अपनी पेशकश ठुकराए जाने के पीछे सिंधिया के इरादों को नहीं भांप पाए।

क्‍या गोलबंदी ने बंद किए रास्‍ते

कमलनाथ और दिग्विजय की सिंधिया के खिलाफ गोलबंदी की बात कुछ हद तक हाईकमान को भी सही लग रही थी। इसीलिए हाईकमान सिंधिया को समाधान का विकल्प दे रहा था और तभी सोनिया-राहुल दोनों को आखिरी वक्त तक भरोसा नहीं था कि ज्योतिरादित्य पार्टी छोड़ देंगे। सोनिया और राहुल ही नहीं प्रियंका गांधी वाड्रा से भी सिंधिया के अच्छे संबंध थे और सभी से उनकी सीधी बात होती थी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.