सोनिया ने की लोगों से अपील- संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट हों
यह हर नागरिक का दायित्व है कि वह संविधान की रक्षा करने और देश की एकता को मजबूत करने की दिशा में कार्य करे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को लोगों से अपील की कि वे अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट हों। सोनिया ने दावा किया कि संवैधानिक मूल्यों को एक गहरी साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है।
हर नागरिक संविधान की रक्षा और देश की एकता को मजबूत करने की दिशा में करे कार्य
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोनिया ने कहा, 'यह हर नागरिक का दायित्व है कि वह संविधान की रक्षा करने और देश की एकता को मजबूत करने की दिशा में कार्य करे। लोगों को धर्म, क्षेत्रवाद और भाषा के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है। देश में अशांति, भय और असुरक्षा का एक अभूतपूर्व वातावरण तैयार कर दिया गया है। आम आदमी यह सोचने लगा है कि मौजूदा सरकार के हाथों में संवैधानिक मूल्य अब सुरक्षित नहीं रह गए हैं।'
केंद्र सरकार अपनी आर्थिक नाकामियों को छिपाने के लिए माहौल खराब करने का कर रही काम
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि वर्तमान केंद्र सरकार अपनी आर्थिक नाकामियों, प्रशासनिक विफलता, आसमान छूती महंगाई, हर तरफ मंदी के माहौल और बढ़ती बेरोजगारी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए माहौल खराब करने का काम कर रही है। सोनिया ने कहा, संविधान का हर अक्षर महज छपा हुआ एक शब्द भर नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के लिए जीता-जागता एक दर्शन है।
राष्ट्रपति ने कहा- सीएए के खिलाफ आंदोलन में अहिंसा के रास्ते पर चलना जरूरी
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर मचे बवाल के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के लोगों, खासकर युवाओं को नसीहत दी है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि किसी मुद्दे को लेकर आंदोलन में अहिंसा के रास्ते पर चलना जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंसा से कभी कोई लक्ष्य हासिल नहीं होता।
अहिंसा के मंत्र को सदैव याद रखना चाहिए
हालांकि, शनिवार को शाम 7 बजे राष्ट्रपति कोविंद ने देशवासियों को संबोधित करते हुए सीएए का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक धरना, प्रदर्शन और आंदोलन करने का सबको हक है। संविधान के मुताबिक चलकर ही सामाजिक और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। किसी भी उद्देश्य के लिए संघर्ष करने वाले लोगों, विशेष रूप से युवाओं को, गांधीजी के अहिंसा के मंत्र को सदैव याद रखना चाहिए, जो कि मानवता को उनका अमूल्य उपहार है।