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अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, बोले- किसानों के मुद्दे पर दिल्ली में भूखहड़ताल करूंगा

पिछले साल 14 दिसंबर को उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वो भूख हड़ताल करेंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 10:49 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:49 PM (IST)
अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, बोले- किसानों के मुद्दे पर दिल्ली में भूखहड़ताल करूंगा
विभिन्न किसान संगठनों के जारी आंदोलन के बीच पीएम मोदी को अन्ना हजारे ने लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली, पीटीआइ। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने गुरुवार को प्रधानमंत्री (PM of India) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा कि वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर आखिरी भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farms Bill) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठनों के जारी आंदोलन के बीच पीएम मोदी को यह चिट्ठी लिखी है।

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हजारे ने अपने खत में किसी तारीख का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उन्होंने कहा है कि जनवरी महीने के अंत में वो किसानों के मुद्दे पर अपनी आखिरी भूख हड़ताल करेंगे। पिछले साल 14 दिसंबर को उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वो भूख हड़ताल करेंगे।

उन्होंने कृषि लागत और मूल्य के लिए आयोग को स्वायत्ता प्रदान करने की भी मांग की है। हजारे ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र के साथ पांच बार पत्र व्यवहार किया है लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। हजारे ने पीएम मोदी को लिखा कि इस वजह से मैंने अपने जीवन की अंतिम भूख हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली रामलीला मैदान में अपनी भूख हड़ताल के संबंध में प्राधिकारों से अनुमति के लिए चार बार पत्र लिख, लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया है।

साल 2011 में भ्रष्टाचार रोधी मुहिम के अग्रणी चेहरा रहे अन्ना हजारे ने याद दिलाया कि उन्होंने जब रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू की थी तो तत्कालीन संप्रग सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना पड़ा था।उन्होंने कहा कि उस सत्र में आप और आपके वरिष्ठ मंत्री ने मेरी प्रशंसा की थी लेकिन अब मांगों पर लिखित आश्वासन देने के बावजूद आप उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं।


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