ट्विटर की सफाई, किसी राजनीति विचारधारा का समर्थन नहीं, जानें क्यों कहा ऐसा
ट्विटर ने शुक्रवार को विस्तार से यह सफाई दी है कि वह ना तो किसी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करती है और ना ही किसी राजनीतिक सोच को बढ़ावा देने वाली नीति को अपनाती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से सोशल साइट्स ट्विटर को लेकर भारत में काफी जबरदस्त राजनीतिक विवाद चल रहा है। देश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा ट्विटर पर आरोप लगा रहे हैं कि वह दूसरी विचारधारा को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में ट्विटर ने शुक्रवार को विस्तार से यह सफाई दी है कि वह ना तो किसी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करती है और ना ही किसी राजनीतिक सोच को बढ़ावा देने वाली नीति को अपनाती है।
ट्विटर की इस सफाई के पीछे एक वजह यह भी बतायी जा रही है कि अगले सोमवार को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक संसदीय समिति ने ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधियों को उसके प्लेटफार्म पर आम जनता के हितों की रक्षा करने संबंधी विषय पर पूछताछ करने के लिए बुलाया है।
ट्विटर को लेकर भारत में जारी विवाद को कंपनी ने कितनी गंभीरता से लिया है इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि कंपनी के पब्लिक पॉलिसी के वैश्विक वीपी कोलिन क्रोवेल की तरफ से बयान जारी किया है। क्रोवेल ने कहा है कि ''ट्विटर राजनीतिक विचारधारा के आधार पर ना तो अपनी नीतियों की प्राथमिकता तय करता है और ना ही उसे लागू करता है। हर ट्विट और ट्विटर हैंडल को निष्पक्षता से लिया जाता है।''
ट्विटर से पहले भारत में बेहद दो अन्य लोकप्रिय सोशल साइट्स वाट्सएप और फेसबुक की तरफ से पिछले तीन दिनों के भीतर अलग अलग यह बयान आये हैं कि वह भारत में अपने इस्तेमाल करने वाले लोगों की भावनाओं का ख्याल रखने और राजनीतिक दुष्प्रचार को दूर करने के लिए क्या क्या कदम उठा रहे हैं।
फेसबुक ने गुरुवार को ही कहा है कि वह सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों के साथ यह सुनिश्चित करेगा कि उसे देने वालों का नाम हो और इस तरह के पोस्ट के साथ ग्राहकों को पता चले कि वे विज्ञापन है। गूगल ने भी कहा है कि वह राजनीतिक विज्ञापन को विज्ञापन के तौर पर चिन्हित करने के लिए कदम उठाने जा रहा है।
बहरहाल, ट्विटर ने कहा है कि आगामी चुनाव से पहले उसकी कोशिश है कि उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने वाले सार्वजनिक चर्चा में रहने वाले राजनीतिक नेताओं और पार्टियों के ज्यादा से ज्यादा हैंडल वेरिफाइ हो जाये। इसके लिए कंपनी राजनीतिक दलों से बातचीत भी कर रही है।
इसके लिए कंपनी की कोशिश है कि उसकी वेरिफिकेशन करने संबंधी नियमों का पूरी तरह से पालन हो। इससे जो सार्वजनिक नेता चर्चा में हिस्सा लेंगे उनका भरोसा बढ़ेगा साथ ही एक स्वस्थ्य चर्चा को भी बढ़ावा मिलेगा। बताते चलें कि ट्विटर पर वेरिफाइ एकाउंट्स के पास ब्लू मार्क (सही का निशान) लगा होता है। अभी लोकप्रिय लोगों के नाम पर कई गलत एकाउंट बना लिया जाता है और उनका इस्तेमाल किया जाता है।
वेरिफिकेशन के बाद लोगों को पता चलेगा कि अमुक नेता या पार्टी की तरफ से उस तरह की बात कही गई है या नहीं। ट्विटर और अन्य सोशल साइट्स की तरफ से इस तरह के लगातार बयान आने के पीछे वजह यह है कि पिछले दिनों ट्विटर के कार्यालय के सामने कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया था और यह आरोप लगाया था कि यह एक खास विचारधारा को बढ़ावा दे रही है।