स्मृति ईरानी ने सदन को शर्मसार होने से बचाया, उग्र सांसदों के बीच जाकर स्थिति को संभाला
सदन में हंगामा और धक्का मुक्की होते देख स्मृति ईरानी ने मोर्चा संभाला और हाथ जोड़कर सदस्यों को शांत किया।
नई दिल्ली, आइएएनएस। लोकसभा में सोमवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी का अलग चेहरा देखने को मिला। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन दिल्ली दंगे को लेकर हुए हंगामे के बीच स्मृति ईरानी की तत्परता ने सदन को शर्मसार होने से बचा लिया। इससे पहले कि पक्ष-विपक्ष की धक्का-मुक्की कोई और रंग लेती, स्मृति ईरानी ने मजबूती से हालात को संभाल लिया।
दिल्ली दंगों को सरकार की विफलता बताते हुए विपक्ष लगातार गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर रहा था। इसी बीच कांग्रेस के गौरव गोगोई और गुरजीत सिंह ने हाथ में बैनर लेकर भाजपा के संजय जयसवाल को बोलने से रोकने की कोशिश की। इस पर रमेश विधूड़ी समेत कुछ भाजपा नेता आगे आए और बैनर छीनने की कोशिश करने लगे। नौबत धक्का-मुक्की तक पहुंच गई।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी आए बीच-बचाव में
तभी हालात को भांपते हुए स्मृति ईरानी दोनों पक्षों के बीच पहुंच गई। उनके साथ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी जुड़ गए। दोनों नेताओं ने समझ-बूझ के साथ दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की। इसके बाद कांग्रेस के अधीर रंजन भी आगे आए और अपने साथियों को शांत किया। कुछ देर बाद सदन में फिर ऐसी ही स्थिति बनती दिखी, लेकिन स्मृति ईरानी ने एक बार फिर मोर्चा संभाला और हाथ जोड़कर सदस्यों को शांत किया।
बसपा सांसद ने कहा, 'सदन में नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और रामविलास पासवान जैसे नेताओं की अनुपस्थिति ने सदन में स्थिति को बिगाड़ा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नहीं होने से भी स्थिति बिगड़ी। हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि स्मृति ईरानी ने सदन को शर्मसार होने से बचा लिया। दोनों पक्ष के सदस्यों का गुस्सा देखते हुए कुछ भी हो सकता था, लेकिन स्मृति ईरानी ने स्थिति को संभाल लिया।'