आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन के समर्थन में छह विधायकों ने दिया इस्तीफा
विधानसभा अध्यक्ष हरिभाउ बागडे ने कहा है कि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मिड डे, मुंबई। आरक्षण के लिए चल रहे मराठा आंदोलन के समर्थन में महाराष्ट्र विधानसभा से छह विधायकों ने इस्तीफा सौंप दिया है। लेकिन इन विधायकों की सदस्यता विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के शुरू होने तक कायम रहेगी। दो विधायकों ने बुधवार को इस्तीफा सौंपा था, जबकि चार विधायकों ने गुरुवार को इस्तीफा दिया है। इनमें दो भाजपा के विधायक हैं।
विधानसभा अध्यक्ष हरिभाउ बागडे ने कहा है कि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि सदन में पत्र पढ़ा जाना अनिवार्य है और आग्रह स्वीकार या इन्कार करने से पहले उनके इस्तीफे के लिए कारण भी बताना होगा। उन्होंने कहा कि जब स्थान रिक्त हो जाएगा तो भारत के निर्वाचन आयोग को सूचना दी जाएगी। इसलिए हमें शीतकालीन सत्र के शुरू होने तक इंतजार करना होगा। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 19 नवंबर से शुरू होगा।
सबसे पहले शिवसेना के हर्षवर्धन जाधव ने इस्तीफा सौंपा। इसके बाद विजयपुर से विधायक भाउसाहेब पाटिल चिकटगांवकर ने इस्तीफा दिया। मराठा आंदोलन सबसे पहले जान गंवाने वाले काकासाहेब शिंदे उनके ही क्षेत्र के निवासी थे। शिंदे ने गोदावरी नदी में कूदकर जान दे दी। उनकी मौत के बाद ही बड़े पैमाने पर हिंसा फैली।
गुरुवार को इस्तीफा देने वालों में भाजपा के राहुल अहेर (नासिक), सीमा हिरे (नासिक), राकांपा के रमेश कदम (मोहोल) और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय भारत भाल्के (पंधरपुर) शामिल हैं।
हरकत में आई सरकार
चौतरफा दबाव पड़ने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और मराठा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रमुख विधायकों की बैठक की है। आरोप है कि सरकार ने अदालत में उचित तरीके से कारण को नहीं रखा।
सरकार ने की घोषणा
इसी बीच सरकार ने बड़े पैमाने पर भर्ती की घोषणा की है। इसमें 16 फीसद जगह मराठा के लिए आरक्षित रखने की घोषणा की गई है, लेकिन अनुकूल फैसला आने पर ही भर्ती की जाएगी। समुदाय ने इस फैसले का विरोध किया है और अभियान पर रोक लगाने की मांग की है।
पुलिस ने तीन मामले दर्ज किए, इंटरनेट सेवा निलंबित
नवी मुंबई पुलिस ने मराठा आंदोलन को लेकर तीन मामले दर्ज किए हैं। इसके साथ ही कोपरखैराने, काल्मबोली एवं आसपास के इलाकों से इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि पथराव के लिए प्रदर्शनकारी पत्थर दूसरी जगह से लाए थे। इसकी जांच की जा रही है। गुरुवार सुबह महौल तनावपूर्ण पाया गया और डीआइजी स्तर के दो अधिकारी के साथ ही दो डी डीसीपी को बंदोबस्त की देखरेख में लगाया गया है।
नवी मुंबई पुलिस ने पंचनामा तैयार करने और पथराव से जिन लोगों को नुकसान हुआ है उनकी शिकायत दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। चूंकि प्रदर्शनकारी नवी मुंबई इलाके के नहीं थे इसलिए प्रदर्शनकारियों की पहचान के लिए अधिकारी मोबाइल फुटेज और सीसीटीवी फुटेज जमा कर रहे हैं।