सिंधी परिवार को 56 साल बाद मिली भारत की नागरिकता, अमित शाह ने मंच से की घोषणा
नागरिकता मिलने के बाद सिंधी परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। सिंधी परिवार ने कहा कि वे सालों से अपने ही देश में परायों की तरह रह रहे थे।
नईदुनिया, जबलपुर। 1964 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर मध्य प्रदेश के बालाघाट में रह रहे गोपाल दास प्रियानी के परिवार को अब वीसा की अवधि बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को आवेदन नहीं देना पड़ेगा। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बालाघाट में प्रियानी सहित पांच लोगों को मंच से भारत की नागरिकता देने की घोषणा की।
प्रियानी के परिवार के पाकिस्तान से आने के बाद 1991 में श्रीचंद गुरुनानी का परिवार आया। इसके बाद पाकिस्तान से आने वाले सिंधी परिवारों की संख्या बढ़ती गई और 2019 में कुल 47 सदस्य हो गए। इनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। वे वीसा की अवधि बढ़वाकर बालाघाट में रह रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर गृह मंत्रालय को आवेदन देकर वीसा अवधि 2024 तक बढ़वा ली थी।
सिंधी परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं
सीएए लागू होने के बाद इन परिवारों को भी भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद बंधी। इसके लिए उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर प्रयास किए और आखिरकार रविवार को जबलपुर में आयोजित अमित शाह की सभा में उन्हें भारतीय होने का अधिकार मिल गया। नागरिकता मिलने के बाद सिंधी परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। सिंधी परिवार ने कहा कि वे सालों से अपने ही देश में परायों की तरह रह रहे थे। वीसा के आधार पर उन्हें यहां रहने और गुजर-बसर करने का अवसर तो मिल रहा था, लेकिन देश के नागरिकों को जो अधिकार मिले हैं, उनसे वे वंचित रहे। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।
कई सदस्य अभी भी पाकिस्तान में
बालाघाट के इन सिंधी परिवारों के कई सदस्य अभी भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ही हैं, जो दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। 2011 में पाकिस्तान से आकर बालाघाट में रह रहे करमचंद नागदेव ने कहा कि वहां अन्याय होने के बाद भी वे आवाज नहीं उठा सकते। व्यापार करने की भी उतनी छूट नहीं है। बंदूक के दम पर कभी भी लूट लिया जाता है। भारत आने से लोग सिर्फ इसलिए हिचकते रहे थे कि उन्हें यहां की नागरिकता नहीं मिलती थी, लेकिन अब कानून में संशोधन हो गया है। ऐसे कई परिवार हैं, जो अपने देश लौट सकेंगे।
इन्हें मिली नागरिकता
नाम भारत आने का वर्ष
-राजकुमार खत्री 1991
-श्रीचंद गुरुनानी 1991
-गोपालदास प्रियानी 1964
-अजीत नागदेव 2011
-करमचंद नागदेव 2011