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सांसदों के निलंबन वापसी पर सभापति से लेकर सरकार ने नरमी के दिए संकेत

सरकार ने कहा कि वह भी निलंबन वापसी के पक्ष में है लेकिन इसके लिए अमर्यादित आचरण करने वाले सभी आठ सदस्यों को पहले बगैर शर्त माफी मांगनी होगी। वहीं निलंबित सांसदों ने माफी न मांगने की बात कही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 06:15 AM (IST)
सांसदों के निलंबन वापसी पर सभापति से लेकर सरकार ने नरमी के दिए संकेत
भारतीय संसद की फाइल फोटो, जहां मानसून सत्र चल रहा है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यसभा में उपसभापति से दु‌र्व्यवहार व अमर्यादित आचरण के मामले में निलंबित किए गए आठ सासंदों के निलंबन वापसी की मांग तेज हो गई है। सभापति से लेकर सरकार ने भी इस पर नरमी के संकेत दिए है। हालांकि सभापति ने कहा कि सदन में जो कुछ भी हुआ, वह माफी के योग्य नहीं है। संसदीय लोकतंत्र में इस तरह का व्यवहार को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है, लेकिन वह हमारे ही लोग है। सरकार यदि उनके निलंबन वापसी को लेकर कोई प्रस्ताव लाती है, तो वह विचार करेंगे। 

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सरकार ने कहा कि पहले वह बिना शर्त माफी मांगे, फिर निलंबन वापस पर होगा विचार 

जबकि सरकार ने कहा कि वह भी निलंबन वापसी के पक्ष में है, लेकिन इसके लिए अमर्यादित आचरण करने वाले सभी आठ सदस्यों को पहले बगैर शर्त माफी मांगनी होगी। वहीं निलंबित सांसदों ने माफी न मांगने की बात कही है। वैसे भी सदन के भीतर से जिस तरह से संकेत मिल रहे है कि उनमें सदन अगले एक-दो दिनों में स्थगित हो जाएगा। ऐसे में विपक्ष इसे मुद्दे को गरम ही रखना चाहता है। निलंबित की अवधि भी सिर्फ एक हफ्ते की है। ऐसे में निलंबित सांसद भी इसे लेकर कतई चिंतित नहीं है। विपक्ष जरूर उनके निलंबन को धार देने में जुटा हुआ है। 

मंगलवार को संसद के दोनों सदनों से विपक्ष के बायकाट से यह और भी साफ हो गया है। इस बीच राज्यसभा में मंगलवार को शून्यकाल के बाद विपक्ष ने निलंबित गए सभी आठ सदस्यों के निलंबन को वापस लेने की मांग की। सबसे पहले यह मांग कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सदन के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने रखी। उन्होंने कहा कि सदन में जो कुछ हुआ है, वह गलत है। लेकिन यह क्यों हुआ, इसके कारणों में भी जाने की जरूरत है। वहीं सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि 'हंगामे के दौरान सरकार ने संयम से काम लिया। विपक्ष के लोगों से ही गलती हुई। जो बड़े होते है, उनका दिल बड़ा होता है। उनका निलंबन रद्द किया जाए। मै उन सभी लोगों की तरफ से माफी मांगता हूं।' 

सभापति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र ने इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं, फिर भी वह हमारे लोग हैं 

हालांकि, सभापति एम वैकेंया नायडू ने कहा कि उपसभापति के साथ इन सदस्यों ने जिस तरह का अमर्यादित आचरण किया है, वह माफी योग्य नहीं है, लेकिन वह अपने ही लोग है। पर इस पर सरकार को फैसला करना है। इस पर नेता सदन और केंद्रीय मंत्री मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि यदि निलंबित सभी आठ सांसद बिना शर्त माफी मांगे, तो उनके निलंबन वापसी की वह सभापति से मांग कर सकते है।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि हम निलंबन वापस लेने पर तभी विचार करेंगे, जब निलंबित राज्यसभा सदस्य अपने व्यवहार के लिए माफी मांग लेंगे। साथ ही फिर कहा कि राज्यसभा में कृषि बिल पारित होने के दौरान सदन में उनके पास पूरा बहुमत था। उन्होंने कहा कि सदन में रविवार को जो कुछ हुआ, उसे लेकर हमें उम्मीद थी, कि कांग्रेस की ओर से विपक्षी सदस्यों के ऐसे आचरण का विरोध होगा। 

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ये कैसी राजनीति है, कि एक ट्वीट विदेश से आता है और सांसद हंगामा और दु‌र्व्यवहार पर उतारू हो जाते है। उनका इशारा इन दौरान राहुल गांधी को लेकर था। वह इन दिनों में अपनी मां सोनिया गांधी के इलाज के सिलसिले में विदेश में है। गौरतलब है कि राज्यसभा से निलंबित किए गए आठ सांसदों में तीन कांग्रेस के, दो-दो तृणमूल और सीपीआई(एम) और एक आप के थे। 


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