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जम्मू-कश्मीर में नए सियासी मोर्चे का संकेत, PDP के आठ नेताओं ने की उपराज्यपाल से मुलाकात

स्थानीय सियासी हलकों में आठ नेताओं की उपराज्यपाल से मुलाकात को केंद्र व जम्मू कश्मीर प्रशासन के बीच पहला खुला संवाद माना जा रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 11:53 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 12:11 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में नए सियासी मोर्चे का संकेत, PDP के आठ नेताओं ने की उपराज्यपाल से मुलाकात
जम्मू-कश्मीर में नए सियासी मोर्चे का संकेत, PDP के आठ नेताओं ने की उपराज्यपाल से मुलाकात

राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में नए सियासी मोर्चे के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) में जारी अंतर्कलह के बीच पूर्व वित्तमंत्री सईद अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में आठ वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की।

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इस आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में पीडीपी के पांच पूर्व विधायक, एक पूर्व एमएलसी, एक पीडीपी से निष्कासित पूर्व मंत्री और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष (कभी पीडीपी का ही हिस्सा) शामिल थे। इन नेताओं ने सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई, जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा, स्थानीय लोगों के सामाजिक-आर्थिक और जमीन के मालिकाना अधिकार संबंधी विभिन्न अधिकारों के संरक्षण को यकीनी बनाने की मांग को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा।

स्थानीय सियासी हलकों में आठ नेताओं की उपराज्यपाल से मुलाकात को केंद्र व जम्मू कश्मीर प्रशासन के बीच पहला खुला संवाद माना जा रहा है। बीते पांच माह के दौरान पहली बार किसी गैर भाजपा और मुख्यधारा के दल के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से मुलाकात की है। जम्मू कश्मीर में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव कराए जाने के केंद्र सरकार के इरादों को देखते हुए यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है।

कौन कौन था मुलाकात में शामिल

उपराज्यपाल के साथ इस मुलाकात को ज्यादा तूल न दिया जाता। अगर इसमें पीडीपी के निष्कासित अल्ताफ बुखारी और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बारामुला के पूर्व विधायक जावेद हसन बेग और पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर शामिल नहीं होते। जावेद हसन बेग पूर्व उपमुख्यमंत्री और पीडीपी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग के भतीजे हैं। वहीं, प्रतिनिधिमंडल में शामिल डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर भी पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में एक रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य सदस्यों में पीडीपी के चार पूर्व विधायक मोहम्मद दिलावर मीर, चौधरी कमर हुसैन, नूर मोहम्मद शेख और राजा मंजूर अहमद के अलावा एक पूर्व एमएलसी जफर इकबाल मन्हास शामिल थे।

हम किसी दल विशेष के एजेंडे को लेकर नहीं मिले

पीडीपी से निष्कासित अल्ताफ बुखारी बीते तीन माह से ही केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य में एक नए सियासी मोर्चे के गठन में सक्रिय नजर आ रहे हैं। इसी कवायद के तहत वह गत दिनों दिल्ली, मुंबई और जम्मू में भी अपने पुराने संपर्क सूत्रों के साथ बैठकों में व्यस्त रहे हैं। अल्ताफ बुखारी ने उपराज्यपाल के साथ अपनी मुलाकात पर कहा कि जब सियासी लोग किसी से मिलने जाएंगे तो सियासी मुद्दों पर ही बातचीत करेंगे। खैर, हमने उपराज्यपाल को अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों में जो भ्रम, असुरक्षा और चिंता का भाव है, उन्हें दूर करने पर जोर दिया है। हम किसी दल विशेष के एजेंडे को लेकर नहीं मिले हैं।

सियासत में कुछ भी असंभव नहीं

पीडीपी के असंतुष्ट और निष्कासित नेताओं के उपराज्यपाल से मिलने पर पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर ने कहा कि हम सभी का एजेंडा एक ही था। एकसाथ मिलकर ही अपनी बात को जोरदार तरीके से रखा जा सकता है। नए सियासी मोर्चे की संभावना पर उन्होंने कहा कि सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है।

ज्ञापन में की मांगें

-सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई।

-जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा।

-विधान परिषद के गठन की मांग।

-पत्थरबाजी में लिप्त युवाओं के खिलाफ एफआइआर वापस ली जाए।

-सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों, कला-संस्कृति, भाषा, साहित्य व खेल जगत से जुड़े लोगों के लिए आरक्षण।

-स्थानीय लोगों के सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए हिमाचल प्रदेश की तरह विशेष प्रावधान व डोमिसाइल की सुविधा।

-जम्मू-कश्मीर बैंक की प्रक्रियात्मक स्वायत्तता, कृषि एवं बागवानी क्षेत्र की पुनर्बहाली, उद्योग एवं निर्माण क्षेत्र व संबंधित गतिविधियों को मजबूती।

-इंटरनेट सेवाओं की बहाली, बंद से प्रभावित दुकानदारों, बस चालकों, टैक्सी ऑपरेटरों के लिए राहत पैकेज।


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