शिवसेना का तंज, रामायण के सभी पात्र तैयार रखें अपना जाति प्रमाण-पत्र
शिवसेना ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे आधारहीन और अस्वीकार्य बताया है
मुंबई, प्रेट्र। पवनसुत हनुमान की जाति पर नेताओं की टिप्पणी को लेकर शिवसेना ने तंज कसा है। शिवसेना ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे आधारहीन और अस्वीकार्य बताया है। अपने मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में पार्टी ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा एक नई रामायण लिखने का प्रयास कर रही है जिसमें सभी चरित्र जाति के आधार पर बताए जाएंगे। अयोध्या में राम मंदिर बनने की शुरुआत नहीं हुई है, उससे पहले ही भाजपा ने हनुमान की जाति पर चर्चा छेड़ दी है। शिवसेना ने यह बात अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कही है।
शिवसेना ने पूछा है कि भगवान हनुमान की जाति और उनके धर्म की चर्चा का क्या मतलब है? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान हनुमान को दलित बता दिया। इसके बाद कई तरफ से हनुमान की जाति को लेकर दावे शुरू हो गए। राज्य सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने विधानसभा में हनुमान को जाट बताया तो भाजपा के ही विधान परिषद सदस्य बुक्कल नवाब ने हनुमान को मुसलमान बता डाला। जबकि जैन मुनि आचार्य निर्भय सागर महाराज ने हनुमान को जैन बताया है। शिवसेना ने कहा, हनुमान की जाति पर यह चर्चा पूरी तरह से मूर्खता की निशानी है।
शिवसेना के अनुसार, जिस समय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की योजना बनाई जानी चाहिए उस समय इस तरह की जाति चर्चा छेड़ी जा रही है। हिंदू धर्म के संरक्षक होने का दावा करने वाले लोग भगवान हनुमान को मजाक का विषय बना रहे हैं। अगर यही काम किसी मुस्लिम या कथित प्रगतिवादी ने किया होता तो हिंदू ब्रिगेड उसके खिलाफ बवाल काट देती। लेकिन अब वह चुप है।
शिवसेना के अनुसार हनुमान को लेकर स्थापित सत्य है कि वह रामायण के महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वह राम प्रति समर्पण और वफादारी की प्रतिमूर्ति हैं। अगर कोई इस जनभावना को बदलने की कोशिश करता है और नए सिरे से रामायण को परिभाषित करने की कोशिश करता है तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा।