आलाकमान से तनातनी के बावजूद कांग्रेस से नाता तोड़ने के मूड में नहीं शशि थरूर, पुतिन के साथ रात्रिभोज पर कही ये बात
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्रिभोज में तिरुअनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर की उपस्थिति ने उनके और प ...और पढ़ें

पुतिन के सम्मान में रात्रिभोज में थरूर की उपस्थिति से तनाव फिर उजागर (फाइल फोटो)
आइएएनएस, तिरुअनंतपुरम। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्रिभोज में तिरुअनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर की उपस्थिति ने उनके और पार्टी आलाकमान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव को फिर से उजागर कर दिया है। हालांकि, इस सबके बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभी तक अपनी पार्टी से नाता तोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
मैं कांग्रेस पार्टी का सांसद हूं- थरूर
शनिवार को जब पत्रकारों ने थरूर से पूछा कि क्या वह निकट भविष्य में कोई 'बड़ा कदम' उठाने की सोच रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं पता कि यह क्यों पूछा जा रहा है। मेरा मतलब है कि मैं कांग्रेस पार्टी का सांसद हूं। मैंने निर्वाचित होने के लिए बहुत कष्ट उठाए हैं। कुछ और बनने के लिए काफी सोच-विचार और कई अन्य बातों पर विचार करना होगा।''
रात्रिभोज को लेकर बोले शशि थरूर
थरूर ने कहा कि मतदाताओं के लिए काम करना उनकी जिम्मेदारी है और वह लोगों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ''रात्रिभोज से पहले हुई बातचीत में मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े कामों के संदर्भ में अपनी सरकार के कुछ अधिकारियों के साथ विमर्श कर रहा था। अपने लोगों, अपने मतदाताओं और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम करवाना जीवन का एक हिस्सा है। यही राजनीतिक जिम्मेदारी है।''
राहुल गांधी को भोज में आमंत्रित नहीं किया गया
थरूर ने राजकीय भोज के दौरान राष्ट्रपति भवन के माहौल को ''गर्मजोशी भरा'' और ''आकर्षक'' बताया। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा कि मैंने वहां उपस्थित कई लोगों विशेष रूप से रूसी प्रतिनिधिमंडल के मेरे साथियों के साथ बातचीत का आनंद लिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को भोज में आमंत्रित नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है और निमंत्रण स्वीकार करने के लिए थरूर पर निशाना साधा है।
अंतरात्मा की आवाज सुनने की जरूरत- कांग्रेस
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, 'हमें अपनी अंतरात्मा से सवाल करने और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की जरूरत है। लोगों को आमंत्रित करने या न करने में राजनीति की गई है, जो अपने आप में संदिग्ध है, और जो लोग इस तरह के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं, वे भी संदिग्ध हैं।''
उन्होंने सरकार पर रोजाना प्रोटोकाल तोड़ने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास न करने का आरोप लगाया है।
राष्ट्रपति भवन को 'पूर्वाग्रहों' से ऊपर उठने की दी सलाह
पुतिन के लिए रात्रिभोज में विपक्षी नेताओं की अनुपस्थिति पर कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन को ''पक्षपातपूर्ण प्राथमिकताओं और पूर्वाग्रहों'' से ऊपर उठने की सलाह दी। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा कि राष्ट्र की संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि द्विदलीय सहभागिता की परंपरा कायम रहे।
उन्होंने कहा कि विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के लिए आयोजित आधिकारिक रात्रिभोज में विपक्ष के नेताओं को आमंत्रित करने की लोकतांत्रिक परंपरा से भारत की राष्ट्रपति ''विमुख'' हो गई हैं। ऐसी बातचीत से विपक्ष को जानबूझकर बाहर रखने से भारत की संस्थागत विश्वसनीयता कमजोर होती है।''

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