पार्टी लाइन से हटकर शशि थरूर बोले- पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का विरोध नहीं होना चाहिए
शशि थरूर ने कहा कि दलबदल कानून ने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उनकी पार्टी का रबर स्टैंप बना दिया है। सांसद अपनी अंतरआत्मा की आवाज से नहीं बोल सकता।
जागरण संवाददाता, जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपनी पार्टी से अलग हटकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी अमेरिका में भारत का झंडा लेकर जा रहे हैं। ऐसे में विरोध नहीं होना चाहिए। हालांकि, जब वह विदेश से लौटकर आएंगे तो उन्हें देश की जनता को जवाब देना होगा कि उन्होंने वहां क्या किया। शशि थरूर ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था और मोदी सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं।
पीएम की अमेरिका की यात्रा के दौरान 22 सितंबर को ह्यृस्टन में भारतीय प्रवासियों के कार्यक्रम हाऊडी मोदी को लेकर शशि थरूर का रूख पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं से अलग है। विदेश मामलों में पीएम मोदी की सराहना करते हुए शशि थरूर ने कहा कि मोदी अमेरिका में प्रधानमंत्री के रूप में भारत का झंडा लेकर जा रहे हैं, जिसका विरोध नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं भारत में उनसे जुड़े मामलों का विरोध करूंगा, लेकिन विदेश में उनका समर्थन करूंगा। उन्होंने कहा कि Þहाऊडी मोदीÞ कार्यक्रम का विरोध करने वालों से मैं सहमत नहीं हूं। देश में मोदी के खिलाफ संसद से सड़क तक लडेंगे और विरोध करेंगे,लेकिन विदेश में उनका सम्मान करेंगे। शुक्रवार को जयपुर में शशि थरूर ने दो कार्यक्रमों में अपनी बात कही।
यहां एक कार्यक्रम में पत्रकार करण थापर के साथ चर्चा करते हुए शशि थरूर ने कहा कि वर्तमान में देश के राजनीतिक पटल में असहमति की जगह लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस तरह की असहमति के लिए जगह 1962 की तुलना में नाटकीय ढंग से कम हुई है।
उन्होंने कहा कि 1962 में जिस तरह नेताओं ने अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं को चुनौती दी थी उसकी आज किसी भी पार्टी में कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि 1962 में ही पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने चीन युद्ध को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, तब पंडित नेहरू ने वाजपेयी की मांग को स्वीकार किया था।
सांसद अपनी अंतरआत्मा से नहीं बोल सकता
शशि थरूर ने कहा कि दलबदल कानून ने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उनकी पार्टी का रबर स्टैंप बना दिया है। सांसद अपनी अंतरआत्मा की आवाज से नहीं बोल सकता, क्योंकि वे किसी भी विधेयक पर अपनी पार्टी के रूख से अलग नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में तत्कालीन भाजपा सांसद शत्रुघन सिन्हा ने पीएम मोदी और भाजपा नेतृत्व की आलोचना की, लेकिन संसद में भाजपा के रूख का समर्थन किया। प्रत्येक विधेयक पर सिन्हा ने मोदी सरकार के पक्ष में मतदान किया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि अगर वे खिलाफ जाते तो उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता था। उनकी संसद से सदस्यता जा सकती थी।