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2019 के सियासी संग्राम में विपक्ष के मुख्य सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे शरद पवार

एनसीपी प्रमुख पर 2019 के सियासी संग्राम में विपक्षी एकता का दारोमदार, सुरजीत जैसी भूमिका के लिए कांग्रेस ने किया आगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 09:05 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 12:17 AM (IST)
2019 के सियासी संग्राम में विपक्ष के मुख्य सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे शरद पवार
2019 के सियासी संग्राम में विपक्ष के मुख्य सूत्रधार की भूमिका निभाएंगे शरद पवार

संजय मिश्र, नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन का 2019 के सियासी संग्राम में भले ही कोई घोषित चेहरा नहीं होगा मगर एक दिग्गज सर्वमान्य सूत्रधार होगा। एनसीपी प्रमुख शरद पवार विपक्ष के मुख्य रणनीतिकार की भूमिका निभाएंगे। विपक्ष दलों की एकजुटता बनाये रखने की प्रमुख रणनीति के साथ अभी तक किसी खेमे का हिस्सा नहीं बने क्षेत्रीय पार्टियों को साधने का दारोमदार भी पवार पर ही होगा। एनडीए-भाजपा के खिलाफ व्यापक विपक्षी गोलबंदी की जरूरत को देखते हुए कांग्रेस भी आगे बढ़कर पवार की इस सियासी भूमिका का पूरा समर्थन कर रही है।

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पवार का सियासी 'पावर' 
विपक्ष की सियासी एकजुटता के लिए पवार के ही सूत्रधार बनने की रणनीति से साफ है कि एनसीपी सुप्रीमो कुछ वैसी ही भूमिका निभाएंगे जैसी 2004 में दिग्गज माकपा नेता हरिकिशन सिंह सुरजीत ने निभाई थी। अगले लोकसभा चुनाव की जमीनी वास्तविकता का निरंतर आकलन कर रही कांग्रेस क्षेत्रीय दिग्गजों ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू से लेकर मायावती और अखिलेश जैसे नेताओं को साधे रखने के लिए पवार के सियासी 'पावर' को दमदार मान रही है।

राहुल और पवार के बीच चर्चा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद पवार से हाल के दिनों में कई बार मिलकर विपक्षी सियासत को आगे बढ़ाने में उनकी अधिक सक्रिय भूमिका का अनुरोध कर चुके हैं। इन मेल-मुलाकातों में राहुल और पवार के बीच गठबंधन से लेकर विपक्ष के वैकल्पिक एजेंडे पर चर्चा हुई। खुद पवार ने दो दिन पहले इस बात की पुष्टि की थी कि राहुल की हाल के दिनों में उनसे तीन मुलाकातें हुई हैं और इस दौरान दोनों के बीच मिलकर काम करने की अच्छी समझ बनी है।

चेहरे को लेकर विपक्षी खेमे के दलों के बीच चुनाव पूर्व सहमति आसान नहीं इसीलिए विपक्ष ने नेतृत्व का फैसला चुनाव बाद करने की रणनीति तय कर ली है। जाहिर तौर पर विपक्ष को ऐसा रणनीतिकार चाहिए जो उसका चेहरा नहीं होने की कमजोरी की अपने सियासी दांव से भरपाई कर सके। पवार इसमें सहज रुप से सबसे फिट बैठते हैं।

क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से अच्छे रिश्ते
शरद पवार के राष्ट्रीय ही नहीं क्षेत्रीय पार्टियों के तमाम नेताओं से अच्छे रिश्ते है। राजनीतिज्ञों की मौजूदा पीढ़ी में उन्हें माहिर सियासी खिलाड़ी माना जाता है। यह पवार का राजनीतिक कौशल ही है कि विदेशी मूल के सवाल पर सोनिया गांधी से विद्रोह कर पार्टी बनाने के बाद वे बीते डेढ दशक से अधिक समय से कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद साथियों में एक हैं।

सूत्रधार की भूमिका के लिए पवार मुफीद 
विपक्ष के मुख्य रणनीतिकार-सूत्रधार के रुप में पवार की स्वीकार्यता इस लिहाज से भी अधिक व्यापक है कि वे न वामपंथी हैं और न ही दक्षिणपंथी। साथ ही वे अगले चुनाव में सत्ता शिखर के दावेदारों में शामिल नहीं हैं। पांच दशक के अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देख चुके पवार खुद भी यह कह चुके हैं कि वे विपक्षी खेमे के पीएम पद के दावेदारों में नहीं है। इसीलिए कांग्रेस ही नहीं दूसरे क्षेत्रीय नेता भी सूत्रधार की भूमिका के लिए पवार को सबसे मुफीद मान रहे।
एनसीपी प्रमुख धीरे-धीरे अपनी इस भूमिका को सिरे चढ़ाने में जुटे भी हैं। राहुल के अलावा कुछ दिनों पहले पवार ने बसपा सुप्रीमो मायावती और जनतादल सेक्यूलर के प्रमुख पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से भी मुलाकात की थी। ममता बनर्जी के साथ भी उनका सीधा संवाद है। टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडु से भी उनके बेहतर रिश्ते हैं।

सबसे दमदार रणनीतिकार 
चुनाव बाद की सियासी रणनीति में बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक और वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी को साधने के लिहाज से भी पवार इस समय सुरजीत की तरह विपक्ष के लिए सबसे दमदार रणनीतिकार हैं। गौरतलब है कि 2004 के चुनाव में एनडीए की अप्रत्याशित हार के बाद बने यूपीए गठबंधन में मुख्य रणनीतिकार और सूत्रधार की भूमिका सुरजीत की रही थी।


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