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शिवसेना को बड़ा झटका, शरद पवार बोले- हमारे पास स्पष्ट बहुमत नहीं, हम विपक्ष में बैठेंगे

एनसीपी ने यह साफ कर दिया है कि वो विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि लोगों ने एनसीपी को विपक्ष में बैठने के लिए कहा है और पार्टी ऐसा ही करेगी।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 07:58 AM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 08:33 AM (IST)
शिवसेना को बड़ा झटका, शरद पवार बोले- हमारे पास स्पष्ट बहुमत नहीं, हम विपक्ष में बैठेंगे
शिवसेना को बड़ा झटका, शरद पवार बोले- हमारे पास स्पष्ट बहुमत नहीं, हम विपक्ष में बैठेंगे

मुंबई, पीटीआइ। महाराष्ट्र में भाजपा को झटका देने की कोशिश कर रही शिवसेना को झटका लगा है। एनसीपी ने यह साफ कर दिया है कि वो विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि लोगों ने एनसीपी को विपक्ष में बैठने के लिए कहा है और पार्टी ऐसा ही करेगी। एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से एनडीए के घटक शिवसेना की महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं के बीच पवार ने यह बयान दिया है। इससे पहले शुक्रवार को सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के साथ हुई बैठक में शिवसेना को समर्थन देने की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। 

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नासिक में पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और उसके सहयोगी दल शिवसेना के बीच चल रही खींचतान को बचकाना बताया। 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना एक साथ लड़ी थीं। इस दौरान भाजपा को 105 और एनसीपी को 56 सीटों पर जीत मिली। एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमशः 54 और 44 सीटें हासिल की।

जनता ने हमें विपक्ष में बैठने के लिए कहा

एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इस संबंध में उनकी पार्टी में कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा, 'हमारे पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। जनता ने हमें विपक्ष में बैठने के लिए कहा है। हम उस जनादेश को स्वीकार करते हैं और ध्यान रखेंगे कि हम उस भूमिका को प्रभावी ढंग से निभाएं।'

भापजा और शिवसेना के बीच चल रही खींचतान बचकाना 

शिवसेना, भाजपा को मुख्यमंत्री पद को रोटेशनल आधार पर साझा करने पर जोर दे रही है। वहीं भाजपा ऐसी व्यवस्था को लागू करने में अनिच्छुक है। पवार ने इसे लेकर कहा, 'लोगों ने उन्हें सरकार बनाने के लिए मौका दिया है। उन्हें इसका इस्तेमाल करना ही चाहिए। लेकिन अभी उनके बीच जो चल रहा है, वह मेरी राय में बचकाना है।' बता दें कि सरकार बनाने की मांग करने वाले किसी भी दल या गठबंधन को 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी।


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