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सजायाफ्ता के पार्टी बनाने और पदाधिकारी बनने पर रोक का सरकार ने किया विरोध

केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि इस आधार पर किसी दल को पंजीकृत न करना कि उसका पदाधिकारी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है, ठीक नहीं होगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 08:22 PM (IST)
सजायाफ्ता के पार्टी बनाने और पदाधिकारी बनने पर रोक का सरकार ने किया विरोध
सजायाफ्ता के पार्टी बनाने और पदाधिकारी बनने पर रोक का सरकार ने किया विरोध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपराधिक मामले में दोषी करार सजायाफ्ता के राजनैतिक दल बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर रोक लगाने की मांग का केन्द्र सरकार ने विरोध किया है। सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि राजनैतिक दल में पदाधिकारी की नियुक्ति पार्टी की स्वायत्तता का मुद्दा है। चुनाव आयोग द्वारा सिर्फ इस आधार पर पार्टी का पंजीकरण करने से इन्कार कर देना कि पार्टी पदाधिकारी चुनाव लड़ने के अयोग्य है, ठीक नहीं होगा। कोर्ट इस मामले में 26 मार्च को सुनवाई करेगा।

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केन्द्र सरकार ने वकील व भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय की जनहित याचिका का विरोध करते हुए ये हलफनामा दाखिल किया है। कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा था। उपाध्याय की याचिका में मांग की गई है कि आपराधिक मुकदमें में अदालत से दोषी करार और चुनाव लड़ने के अयोग्य हो चुके व्यक्ति के राजनैतिक दल बनाने और राजनैतिक दल में पदाधिकारी बनने पर रोक लगाई जाए। साथ ही चुनाव आयोग को ऐसे लोगों की पार्टी का पंजीकरण न करने और पंजीकरण रद करने का अधिकार दिया जाए।

सरकार ने कहा है कि राजनैतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित मौजूदा कानून का आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति के जनप्रतिनिधित्व कानून में संसद और विधानसभा का चुनाव लड़ने पर रोक लगाने वाले कानून के बीच कोई संबंध नहीं है। राजनैतिक दल का पदाधिकारी प्रतिनिधि नहीं होता। राजनैतिक दल में पदाधिकारी की नियुक्ति पार्टी की स्वायत्तता का मामला है।हलफनामे में कहा गया है कि सरकार चुनाव सुधार की जरूरत से वाकिफ है और ये एक जटिल प्रक्रिया है। फिर भी समय समय पर इस बारे में संशोधन होते रहते हैं। सरकार ने चुनाव सुधार का पूरा मुद्दा विचार के लिए विधि आयोग को भेजा था और आयोग ने उस पर अपनी 255वी रिपोर्ट दी है जो कि सरकार के समक्ष विचाराधीन है। उस रिपोर्ट के चैप्टर तीन में राजनैतिक दल और उनके आंतरिक लोकतंत्र का मुद्दा शामिल है लेकिन उसमें आपराधिक पृष्ठभूमि के पार्टी पदाधिकारियों के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा धारा 29ए में राजनैतिक दल का पंजीकरण करने से मना करने के बारे में कोई सुझाव नहीं दिया गया है।

रिपोर्ट में कई तरह की परिस्थितियों में राजनैतिक दलों का पंजीकरण रद करने का चुनाव आयोग को अधिकार दिये जाने की सिफारिश की गई है लेकिन उसमें पार्टी पदाधिकारी की आपराधिक पृष्ठभूमि का आधार नहीं दिया गया है। सरकार ने ये भी कहा है कि राजनैतिक दलों के पंजीकरण का चुनाव आयोग को अधिकार देने वाली धारा 29ए निषेधात्मक प्रावधान नहीं करती है। सरकार ने याचिका खारिज करने की मांग की है।
 


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