मुसीबत के वक्त महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे, पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे प्रश्न, जानिए क्यों
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस लगातार सजग है। महिला अपराधों की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। निर्भया मैत्री और शक्ति स्क्वॉड काम कर रही है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मुसीबत में फंसी महिलाओं की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस कितनी सजग है, इसका अंदाजा पुलिस की वेबसाइट पर डिस्पले कर रहे वुमन सेफ्टी एप से पता चल जाएगा। महिलाएं इसे अपलोड करने की कोशिश करती हैं तो वह नॉट फाउंड बताता है। वहीं, छात्राओं की सुरक्षा को लेकर शुरू की गई 'निर्भया मोबाइल वैन' तो शहर से गायब सी हो गई हैं। महिला पुलिस का सुरक्षा दस्ता 'मैत्री' और 'शक्ति स्क्वॉड' भी सुस्त पड़ा है।
पुलिस की वेबसाइट पर शोपीस बनकर रह गया वुमन सेफ्टी एप
मालूम हो, सितंबर 2016 में भोपाल में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद साइबर और क्राइम ब्रांच ने मिलकर इस एप को तैयार किया था। अब यह एप भोपाल पुलिस की वेबसाइट पर शोपीस बनकर रह गया है। इस एप को डाउनलोड करने के बाद महिला अपना मोबाइल नंबर, नाम और पता दर्ज कराती थीं। एप में पैनिक बटन दिया गया था।
पैनिक बटन दबाने पर आला अफसरों के पास संदेश पहुंच जाता था
मुसीबत की घड़ी में महिला द्वारा पैनिक बटन दबाने पर पुलिस कंट्रोल से लेकर महिला के घर से संबंधित थाना, एसपी और आला अफसरों के पास मदद का संदेश पहुंच जाता था। अगर महिला का मोबाइल बंद हो या नेटवर्क नहीं मिल रहा हो, तब भी पुलिस लोकेशन का पता लगा लेती थी।
निर्भया मोबाइल के भी बंद जैसे हालात
दिल्ली में चलती बस में निर्भया कांड के बाद महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के लिए भोपाल पुलिस ने निर्भया मोबाइल वैन शुरू की थी। इस वैन को स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान व महिला छात्रावास के आसपास तैनात करने के निर्देश हैं। शुरुआत में तो यह नजर आती थी, लेकिन अब यह स्कूल-कॉलेज के पास से नदारद रहती है। यही हाल मैत्री मोबाइल और शक्ति स्क्वॉड का भी है। इनका काम महिला छात्रावास में पहुंचकर उनकी समस्याएं जानने और घूमने के लिए प्रसिद्ध स्थानों पर संदिग्ध लोगों से पूछताछ करना है। दल की सदस्य को संदिग्धों का नाम-पता भी नोट करना होता है। यह दोनों दल कभी-कभार ही पेट्रोलिंग करते नजर आते हैं।
दस माह में पांच सौ के पार छेड़खानी के मामले
शहर में महिला अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जनवरी 2019 से अक्टूबर तक छेड़ख्ाानी के 508 मामले दर्ज हो चुके हैं। 2017 में इस अवधि में छेड़खानी के 386 और 2018 में इस अवधि में 534 केस दर्ज हुए थे। वहीं अक्टूबर 2019 तक दुष्कर्म के 267 अपराध दर्ज हो चुके हैं। जबकि, 2017 और 2018 के दस माह के दौरान दुष्कर्म के क्रमश: 233 और 259 केस दर्ज हुए थे। इस लिहाज से इस साल दुष्कर्म का ग्राफ बढ़ा है।
पुलिस सजग है
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस लगातार सजग है। वुमन सेफ्टी एप क्यों काम नहीं कर रहा है, पता लगाया जाएगा। महिला अपराधों की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। निर्भया, मैत्री और शक्ति स्क्वॉड काम कर रही है। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बनने के कारण इसका बल लगाया जाता है, इसलिए यह सुरक्षा दस्ते नजर नहीं आ पाते हैं- इरशाद वली, डीआईजी, भोपाल शहर।