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वाजपेयी को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग स्‍कूटर, बस, ट्रेन, और फ्लाइट से दिल्‍ली पहुंचे

उमस भरे मौसम में हजारों लोग भाजपा मुख्यालय से सात किलोमीटर लंबी मार्ग तय करके राष्ट्रीय स्‍मृति स्‍थल पर गए, जहां वाजपेयी का अंतिम संस्कार किया जाना था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 07:43 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 07:43 PM (IST)
वाजपेयी को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग स्‍कूटर, बस, ट्रेन, और फ्लाइट से दिल्‍ली पहुंचे
वाजपेयी को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग स्‍कूटर, बस, ट्रेन, और फ्लाइट से दिल्‍ली पहुंचे

नई दिल्‍ली, पेट्र। कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लोगों से जुड़ाव जबरदस्‍त था। कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक लोग उन्‍हें पितातुल्‍य, अभिभावक, नेता मानते थे। यही कारण है कि उनके अंतिम संस्‍कार में शामिल होने के लिए अपने-अपने तरीके से दिल्‍ली पहुंचे।

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एक नौजवान उत्‍तर प्रदेश से स्‍कूटर से दिल्‍ली आया तो दूसरा तमिलनाडु से हवाई जहाज से दिल्‍ली पहुंचा। कुछ लोग बस और ट्रेन से भी राजधानी पहुंचे। ऐसे हजारों लोग किसी तरह से अपने प्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी को अंतिम विदाई देने के लिए दिल्‍ली पहुंचे। कृष्‍ण मेनन मार्ग और भाजपा मुख्‍यालय दीनदयाल मार्ग पर लोगों का श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा हुआ था।

25 साल के आकाश कुमार उत्‍तर प्रदेश के बागपत से 70 किलोमीटर की दूरी तय करके दिल्‍ली पहुंचे। उनका कहना है कि वाजपेयी जी की 'काल के कपाल से लिखता हूं मिटाता हूं' मेरी पसंदीदा कविता है। मैं तीसरी या चौथी कथा में था जब मैंने उनका भाषण सुना तो मुझे उनसे जबरदस्‍त लगाव हो गया। मैं उनकी कविताओं को पसंद करता हूं। चिन्‍नाया नदेसन (45) अपने दोस्‍त गणेशन (38) गुरुवार रात चेन्‍नई से फ्लाइट पकड़कर तड़के 4.30 बजे दिल्‍ली पहुंचे। उसके बाद वे दोनों सीधे वाजपेयी के निवास स्‍थल 6ए कृष्‍ण मेनन मार्ग पर पहुंचे। उस दौरान लोग उनको आखिरी सम्‍मान दे रहे थे।

एक श्वेत शर्ट पहने और सड़क पर नंगे पैर खड़े नेदसन ने कहा कि वे एक स्‍वाभाविक आदमी थे। वे अच्‍छे राजनीतिज्ञ, अच्‍छे सांसद और पूरी तरह से आम आदमी थे। मिली-जुली हिंदी और अंग्रेजी बोलते हुए दोनों ने उन्‍हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर राष्ट्रीय एकता और एकजुटता के एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों की भीड़ दिल्ली में इकट्ठा हुई थी। उमस भरे मौसम में हजारों लोग भाजपा मुख्यालय से सात किलोमीटर लंबी मार्ग तय करके राष्ट्रीय स्‍मृति स्‍थल पर गए, जहां वाजपेयी का अंतिम संस्कार किया जाना था।

भाजपा मुख्‍यालय के बाहर खड़े आकाश कुमार का कहना था कि वह घंटों से वाजपेयी को देखने के लिए खड़े हैं। मैं अपने साथ फूल लाया था, वह गर्मी के कारण सूख गए। अपनी पत्‍नी के साथ आए उन्‍होंने कहा, वह वाजपेयी के लिए गंगोत्री का गंगा जल भी साथ लाए हैं। उत्‍तराखंड के उत्‍तरकाशी से कुछ लोगों के साथ योगेश कुमार (52) पहुंचे। एक रात में पांच सौ किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर वे सभी लोग दिल्‍ली पहुंचे। उन्‍होंने कहा कि गंगोत्री की यात्रा के दौरान मैं वाजपेयी जी से उत्‍तर काशी में 1984 में मिला था। इसके बाद 1986 में उन्‍होंने फिर कस्‍बे का दौरा किया। इस दौरान योगेश कुमार ने वाजपेयी के साथ अपनी एक फोटो दिखाई। सोनू गुप्‍ता (32) ऑटो चलाकर दिल्‍ली के पटेलनगर से कृष्‍णमेनन मार्ग पहुंचे।

उन्‍होंने कहा कि मैं ऑटो से आया था लेकिन ट्रैफिक के नियमों के चलते मैंने केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्‍टेशन पर उसे खड़ा कर दिया। वह लाल रंग का फूलों का गुलदस्‍ता लेकर 1.5 किलोमीटर यात्रा करके यहां पहुंचे। मूल रूप से यूपी आजमगढ़ निवासी दिल्‍ली के मुखर्जी नगर में रहने वाले और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले शिवशक्ति सिंह (23) कृष्‍ण मेनन मार्ग पर घंटों से श्रद्धांजलि देने के लिए खड़े थे। उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री के रूप में उनके व्‍यक्तित्‍व से प्रभावित हूं। उन्‍होंने भारत का शानदार नेतृत्‍व किया और अमेरिका के विरोध के बाद भी देश को परमाणु शक्ति से संपन्‍न बनाया। उनका शासनकला बेहतरीन थी और काव्‍य प्रतिभा प्रभावशाली थी।

मध्‍यप्रदेश के देवास से उमेश श्रीवास्‍तव (47) अपने दोस्‍त चंद्रशेखर मालवीय (36) के साथ यहां पहुंचे। उन्‍होंने बताया कि हमने ट्रेन से आरक्षण लेने के लिए प्रयास किया लेकिन वह नहीं मिला। ऐसे में फ्लाइट से आने का निर्णय लिया। बीजेपी कार्यालय के बाहर घंटों तक इंतजार कर रहे उनके दोस्त ने कहा कि इस दौरान एक आदमी बेहोश हो गया और आस-पास के लोगों ने उसकी मदद की।

उन्‍होंने बताया कि करीब 30 साल पहले जब मैं किशोर था तो मैं अटल जी के भाषणों से प्रभावित हुआ था। भोपाल, इंदौर और उज्‍जैन में उनके आगमन पर मैंने उनके भाषणों को सुना। श्रीवास्‍तव और मालवीय ने बताया कि हम दोनों पार्टी से जिला स्‍तर पर जुड़े हुए हैं। बिहार से आए 20 वर्षीय एक युवक ने बताया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री को अंतिम विदाई देने के लिए आया है। मैं महसूस करता हूं कि देश ने एक महान नेता खो दिया है।  


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