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Article 370 को चुनौती देने वाली नई याचिकाएं अब नहीं, अगली सुनवाई 14 नवंबर को

घाटी के विशेष दर्जा को समाप्‍त करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं को अब सुप्रीम कोर्ट स्‍वीकार नहीं करेगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 03:57 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 04:08 PM (IST)
Article 370 को चुनौती देने वाली नई याचिकाएं अब नहीं, अगली सुनवाई 14 नवंबर को
Article 370 को चुनौती देने वाली नई याचिकाएं अब नहीं, अगली सुनवाई 14 नवंबर को

नई दिल्‍ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की गई। इन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को 28 दिनों का वक्त दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख मुकर्रर की गई है। वहीं घाटी में लागू प्रतिबंधों पर 16 अक्‍टूबर को सुनवाई की जाएगी।

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दायर न की जाएं नई याचिकाएं

इस मामले में जो याचिकाएं दो हफ्ते पुरानी नहीं हैं उन्‍हें कोर्ट ने खारिज कर दिया साथ ही कहा कि अब नई याचिकाएं नहीं स्‍वीकार की जाएंगी। 5 अगस्‍त को केंद्र सरकार ने घाटी को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्‍छेद 370 को हटा दिया जिसके बाद इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कई याचिकाएं दायर की गई।

पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाई

जस्‍टिस एनवी रमना की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने केंद्र व जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन को अनुच्‍छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ हलफनामा दायर करने की अनुमति दी। बेंच ने कहा, ‘केंद्र व जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन को याचिकाओं का जवाब देने की अनुमति दी है नहीं तो हम मामले में फैसला नहीं कर सकेंगे।’ बेंच में जस्‍टिस एसके कॉल, आर सुभाष रेड्डी, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं।

बेंच ने रजिस्‍ट्रार सूर्य प्रताप सिंह से कहा कि मामले में लंबित याचिकाओं की जांच कर सूचित करें। जब कुछ एडवोकेट की ओर से मामले में हस्‍तक्षेप की बात कही गई तब बेंच ने कहा, ‘यदि हर कोई याचिका दायर करना चाहेगा तो एक लाख याचिकाएं हो जाएंगी। इसलिए ऐसा न करें। इससे बिना मतलब मामले में देरी होगी।’

एडवोकेट एमएल शर्मा ने दायर की थी पहली याचिका

केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ पहली याचिका डालने वाले एडवोकेट एम एल शर्मा की भी बेंच ने खिंचाई की। बेंच ने कहा कि एमएल शर्मा की याचिका में कुछ नहीं था और यह आधारहीन था। बेंच ने कहा, ‘आपने फास्‍टेस्‍ट फिंगर फर्स्‍ट खेला। इसका मतलब यह नहीं की पहले आपकी सुनवाई होगी। आपकी याचिका में तथ्‍यों का अभाव है। केंद्र के निर्णय के 72 घंटों के भीतर आपने याचिका दाखिल कर दी इसका मतलब यह नहीं कि आपको पहले सुना जाएगा।’

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