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सारधा चिटफंड : ममता को नहीं मिल रहा मायावती का साथ, जानें इसके पीछे की मंशा

राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव और तेजस्वी व भाजपा के बागी नेता भी ममता के समर्थन में दिख रहे हैं। लेकिन दीदी के समर्थन में बहनजी नहीं दिख रहीं, आईए जानते हैं इसके पीछे की मंशा...

By Digpal SinghEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 03:02 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 05:00 PM (IST)
सारधा चिटफंड : ममता को नहीं मिल रहा मायावती का साथ, जानें इसके पीछे की मंशा
सारधा चिटफंड : ममता को नहीं मिल रहा मायावती का साथ, जानें इसके पीछे की मंशा

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। सारधा चिटफंड घोटाले में एसआईटी जांच के प्रमुख रहे राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर कोलकाता में राजनीति जोरों पर है। पहले जांच को पहुंचे सीबीआई अधिकारियों को हिरासत में लिया गया और फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही धरने पर बैठ गईं। यही नहीं कोलकाता पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभाल रहे राजीव कुमार भी मेट्रो चैनल पर ही ममता के साथ धरने पर बैठ गए। इस मामले में समूचा विपक्ष ममता के साथ खड़ा दिख रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजद नेता तेजस्वी व भाजपा के बागी नेता भी ममता के समर्थन में दिख रहे हैं। लेकिन 'दीदी' के समर्थन में 'बहनजी' नहीं दिख रहीं... आईए जानते हैं इसके पीछे की मंशा...

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खबर तो है कि दीदी यानि ममता बनर्जी को बहनजी यानी मायावती ने फोन करके समर्थन जाहिर किया है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर यह समर्थन कहीं नहीं दिखता। फिर चाहे पिछले महीने कोलकाता में हुए विपक्ष के जमावड़े की बात करें या इस वक्त जब ममता पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कथित तानाशाही के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। मायावती खुले तौर पर ममता के समर्थन में नहीं दिखती हैं। इस संबंध में हमने राजनीतिक जानकार शिवाजी सरकार से बात की।

मायावती की राजनीतिक समझ अच्छी है
दैनिक जागरण से खास बातचीत में शिवाजी सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया कि क्यों मायावती खुले तौर पर ममता के समर्थन में नहीं आ रहीं। उन्होंने बताया कि मायावती बहुत सोच-समझकर ही अपनी चाल चलती हैं, उनकी राजनीतिक समझ अच्छी है। बंगाल में मायावती या फिर उनकी बहुजन समाज पार्टी का जनाधार भी नहीं है, इसलिए वह उदासीन बनी हुई हैं।

पीएम की कुर्सी की लालसा
शिवाजी सरकार के अनुसार मायावती खुद को प्रधानमंत्री पद की प्रबल दावेदार मानती हैं। प्रधानमंत्री पद के प्रति उनका प्रेम कई मौकों पर दिखता भी है। गठबंधन के इस दौर में ममता को मायावती अपना प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानती हैं। मायावती को लगता है कि अगर वे ममता बनर्जी का समर्थन करेंगी तो इससे उनको नुकसान होगा। यह स्थिति उनके लिए पीएम पद की रेस में ममता से पिछड़ने जैसी होगी और वह नहीं चाहतीं कि राष्ट्रीय स्तर पर उनके खिलाफ कोई खड़ा हो।

फिर राहुल गांधी क्यों कर रहे समर्थन
जब मायावती को ममता के रूप में अपना प्रतिद्वंद्वी दिख रहा है तो फिर राहुल गांधी को क्यों नहीं दिख रहा। क्यों राहुल गांधी बार-बार ममता के समर्थन में खड़े नजर आते हैं। ताजा मामले में तो उन्होंने ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस पर शिवाजी सरकार कहते हैं, 'राहुल गांधी सीधे तौर पर पीएम पद के दावेदार नहीं हैं, हालांकि वह दावेदार हैं, लेकिन जब उन्हें कुछ लोगों का समर्थन मिलेगा, तभी वह दावेदार होंगे।' यही नहीं कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जरूरत है। टीएमसी के समर्थन से ही कांग्रेस को वहां कुछ सीटें मिल सकती हैं, वरना उनका जनाधार राज्य में नहीं है। पश्चिम बंगाल में भाजपा दूसरे विकल्प के रूप में उभर रही है।

पॉलिटिकल ड्रामा का फायदा किसको?
कोलकाता में रविवार शाम से जारी ड्रामा किसी न किसी को तो फायदा पहुंचाएगा ही... हमारे इस प्रश्न के जवाब में शिवाजी सरकार का मानना है कि ममता बनर्जी को इससे फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा, इससे बंगालियों में एक मैसेज जाएगा कि ममता मजबूत हुई हैं और पीएम मोदी को भी धता बता सकती हैं। वह इसे सीधे तौर पर बंगाली अस्मिता से जोड़ेंगी और उनकी जनता को भी लगेगा कि दीदी ने पुलिस कमिश्नर के घर में सीबीआइ को भी नहीं घुसने दिया, वहां से भगा दिया। कुल मिलाकर ममता ने खूब गुणा-भाग करके यह बड़ा दांव खेला है। वैसे भी हाल में बंगाल भाजपा के नेता भी कह चुके हैं कि ममता देश की पहली बंगाली प्रधानमंत्री बन सकती हैं।

बंगाल और देश में भाजपा के लिए मुसीबत
बंगाल में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप ममता बनर्जी ही खड़ी हैं। भाजपा को यहां समर्थन तो दिख रहा है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर कितना है इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। शिवाजी का मानना है कि कुछ हद तक बंगाल में हिंदू पोलराइज हुए हैं और भाजपा के नेता भी मानते हैं कि अगर हिंदू पोलराइजेशन होता है तो पार्टी को 42 में से 25 सीटें मिल सकती हैं, अन्यथा बंगाल अभी दूर है। विपक्ष एकजुट हो रहा है, देश में भ्रष्टाचार आज मुद्दा है ही नहीं। लोगों को लगता है कि भ्रष्टाचार और घोटाले जो हों सो हों, लेकिन इसमें राजनीति ज्यादा हो रही है। ऐसे में भाजपा के लिए स्थितियां विषम होती जा रही हैं।


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