Saradha Chit Fund Case: ED के सामने आज पेश होंगे टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष
Saradha Chit Fund Case टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष को सारदा चिट फंड मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष आज पेश होना है।
नई दिल्ली, एएनआइ। Saradha Chit Fund Case, टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष को सारदा चिट फंड मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष आज पेश होना है। वह इससे पहले 17 जुलाई को ईडी के सामने पेश हुए थे। इस दौरान उनसे करीब दो घंटे तक पूछताछ हुई थी।
इसी मामले में ईडी ने सांसद शताब्दी राय, फुटबाल क्लब के पदाधिकारी देवब्रत सरकार, कारोबारी पिता-पुत्र सज्जन अग्रवाल और संधीर अग्रवाल तथा बारुईपुर में सारधा के एजेंट रहे अरिंदम दास उर्फ बुंबा को नोटिस भेजा था। ईडी घोष से आर्थिक लेनदेन में किस-किस को लाभ पहुंचा था और निवेशकों से वसूले गए रुपये आखिरकार कहां पहुंचते थे, रकम का प्रयोग कहां किया गया है, कहां कहां उन लोगों की संपत्ति है आदि सवालों के जवाब लेने के लिए पूछताछ कर रही है।
बता दें कि सारधा ग्रुप के मुखिया सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवयानी मुखर्जी से पूछताछ में ईडी के हाथ कई अहम तथ्य लगे थे। इसी आधार पर उक्त छह लोगों को नोटिस भेजा गया था। इन छह लोगों से पूछताछ कर तथ्यों का मिलान किया जाएगा। सांसद शताब्दी राय को छोड़कर बाकी पांचों आरोपितों को सारधा मामले में इससे पहले सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। शताब्दी राय सारधा गु्रप की एक संस्थान की ब्रांड अंबेसडर थी। उस वक्त सारधा के साथ उनका आर्थिक लेनदेन भी हुआ था। किसी समझौते के तहत उनके साथ लेनदेन हुआ था, इसकी जानकारी हासिल करने के लिए ईडी इससे पहले भी शताब्दी को नोटिस भेज चुकी है।
कुणाल घोष को नवंबर, 2013 में बिधाननगर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल ने सारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य थे। उन्हें 2016 में जमानत मिली थी।
सारधा चिटफंड घोटाला
सारधा चिटफंड घोटाला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा घोटाला है। इसमें कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के हाथ होने का आरोप है। पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी सारधा ग्रुप ने आम लोगों के ठगने के लिए कई ऑफर दिए थे। इस कंपनी ने 34 गुना रकम करने का वादा कर लोगों से पैसे ठगे थे। इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का हेरफेर हुआ है। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआइ को जांच का आदेश दिया था। साथ ही, पश्चिम बंगाल, ओडिशा व असम पुलिस को आदेश दिया था कि वे सीबीआइ के साथ जांच में सहयोग करें।
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