कांग्रेस सत्ता में आयी तो राजस्थान में माफ होगा किसानों का कर्ज: सचिन पायलट
राजस्थान उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट से खास बातचीत
राजस्थान की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस को मिली जीत ने सूबे ही नहीं राष्ट्रीय सियासत में भी सरगर्मी बढ़ा दी है। लंबे समय से राजनीतिक चुनौतियों से रुबरू हो रही कांग्रेस को प्रदेश में उम्मीद की नई किरण नजर आने लगी है। पार्टी को इस मुकाम पर लाने में अहम भूमिका निभाने वाले राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने उपचुनाव के नतीजों पर दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से खास बातचीत की। पेश है इसके अंश :
राजस्थान के उपचुनाव नतीजों को लेकर कांग्रेस का निष्कर्ष क्या उसकी जल्दबाजी नहीं है?
उपचुनाव के नतीजे विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले आए हैं और बहुत बड़े अंतर से कांग्रेस ने दो लोकसभा और एक विधानसभा में जीती है। अजमेर व अलवर की 18 विधानसभा में हर सीट पर हमें बढ़त मिली है। यह भ्रम भी टूटा है कि भाजपा का शहरी गढ़ अभेद्य है क्योंकि अलवर और अजमेर दोनों शहरों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोटों की बढ़त मिली। इसलिए सूबे के चुनाव के भावी निष्कर्ष को लेकर हमें कोई दुविधा नहीं। उपचुनाव के परिणाम वसंुधरा सरकार के खिलाफ स्पष्ट जनादेश है। हमारा मानना है कि नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
पार्टी के राष्ट्रीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के लिए ये नतीजे कैसे मायने रखते हैं?
-नतीजे यह साफ करते हैं कि वसुंधरा सरकार ही नहीं केंद्र में भाजपा के खिलाफ भी लोगों की गहरी नाराजगी है। ग्रामीण इलाकों में किसानों की हालत बेहद खराब है और गुस्सा काफी है। जनता को इस बात का भी अहसास हुआ है कि बीते चार सालों से सड़क पर कांग्रेस ने किसानों, आम लोगों और नौजवानों की असल लड़ाई लड़ी है। इसीलिए कांग्रेस को लोग बेहतर विकल्प मान रहे हैं।
संगठन कांग्रेस की कमजोरी और भाजपा की ताकत माने जाते हैं ऐसे में प्रदेश संगठन को एकजुट रखना क्या आपकी चुनौती नहीं?
-उपचुनाव हमने केवल भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि केंद्र और सूबे की सरकार के खिलाफ लड़ा है। मुख्यमंत्री से लेकर संतरी तक सत्ता के पूरे तंत्र ने अपनी ताकत झोंक रखी थी। इसके बावजूद संगठन की एकजुटता और जांबाज कार्यकर्ताओं की बूथ पर अंत तक डटे रहने की क्षमता के सहारे जीत हासिल की है।
किसानों और गांवों के लिए केंद्र का बजट में किया गया ऐलान क्या कांग्रेस की सियासी रणनीति को नहीं थामेगा?
-बजट की ताजा घोषणा मजबूरी में की गई है। एनडीए के पहले बजट में चंद कारपोरेट घरानों के दो लाख करोड रुपये माफ कर दिये गए थे। किसानों को लेकर यह सोच होती तो चार साल पहले क्यों ये घोषणायें नहीं हुई ताकि क्रियान्वयन का असर पता चलता। जब लोकसभा चुनाव जल्द होने की चर्चा है तो ऐसी घोषणाओं का अर्थ नहीं।
चुनाव में चेहरा अहम हो गया है ऐसे में राजस्थान में क्या कांग्रेस अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करेगी?
-सामान्य तौर पर कांग्रेस चेहरों की घोषणा नहीं करती है। पार्टी चुनाव लड़ती है और जीत के बाद विधायक नेता चुनते हैं। राजस्थान में भी हम इसी परिपाटी पर संगठन की ताकत से चुनाव लड़ेंगे। वास्तव में चेहरे की परंपरा तो भाजपा में ज्यादा है। छत्तीसगढ में रमन सिंह और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तो कर्नाटक में येदियुरपा को भाजपा ने इन सूबों में चेहरा घोषित कर दिया है। इसीलिए उनका सवाल है कि राजस्थान में वसंुधरा राजे के सीएम होते हुए भी अमित शाह ने उनको चेहरा क्यों नहीं घोषित किया है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो हम राहुल गांधी के नेतृत्व में राजस्थान में बदलाव को अंजाम तक पहुंचायेंगे।
क्या राहुल गांधी से राजस्थान में कुछ वैसी ही अपेक्षा कर रहे हैं जैसा उन्होंने गुजरात के चुनाव में किया?
-बिल्कुल राजस्थान में हम उनके प्रखर नेतृत्व के साथ चुनाव में जाएंगे। जनहित के मुद्दों पर राहुल जी की आक्रामक भूमिका का ही असर है कि उनके एक बयान का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार के आधा दर्जन बड़े मंत्रियों और नेताओं को उतारा जाता है। इसे साफ है कि भाजपा में राहुल गांधी के आक्रामक अभियान से घबराहट है।
एक बड़े वर्ग में ऐसी धारणा भी है कि कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका में अभी तक नजर नहीं आयी है?
-इस धारणा से मैं सहमत नहीं। राहुल गांधी ने शुरुआत से ही जब एनडीए को सूट-बूट की सरकार ठहराया तब से हम आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। भूमि अधिग्रहण कानून बदलने के लिए सरकार आठ बार अध्यादेश लेकर आयी और 44 सांसद होने के बावजूद हमने किसान विरोधी संशोधन नहीं होने दिये। इसके बाद महंगाई का मुद्दा हो या फिर चीन व पाकिस्तान से जुड़े मसले हर जगह हमने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
राजस्थान में सबसे अहम सियासी मुद्दे आपके लिए क्या हैं?
-किसानों की बदहाली, एमसपी नहीं मिलना और कर्ज के बोझ से उनका आत्महत्या करना। पिछले कुछ समय में 80 किसान सूबे में आत्महत्या कर चुके हैं। हमारा सवाल है कि जब योगी सरकार उत्तरप्रदेश में और फड़नवीस सरकार महाराष्ट्र में कर्ज माफी कर सकती है तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं हो सकता। वसुंधरा सरकार का नौजवानों को 15 लाख रोजगार देने का कागजों में रह गया वादा और आकंठ भ्रष्टाचार हमारे तीन सबसे अहम मुद्दे हैं।
क्या आप यह खुले रुप में वादा करेंगे कि राजस्थान में सत्ता में आने पर कांग्रेस किसानों का कर्ज माफ करेगी?
-हम जब केंद्र की सरकार में थे तो 72 हजार करोड रुपये का किसानों का कर्ज बिना पक्षपात के माफ किया था। इसलिए हमलोग कर्ज माफी करने से लेकर किसानों की हर संभव सहायता करेंगे। हम भी यह मानते हैं कि कर्ज माफी पूरा समाधान नहीं है। मगर इससे किसानों को एक नई शुरुआत तो मिली ही है।