राहुल को जयशंकर ने समझाई विदेश नीति, कहा- अब चीन के साथ बराबरी से करते हैं बात
राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मनमोहन सिंह की अगुआई वाली सरकार की याद दिलाई।
नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शुक्रवार को उन्हीं के लहजे में जवाब दिया। विदेश मंत्री ने अपना जवाब देने के लिए एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दौरान अमेरिका, यूरोप सहित प्रमुख ताकतों के साथ हमारा महत्वपूर्ण गठजोड़ मजबूत हुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद बढ़ा है। अब हम चीन के साथ हम राजनीतिक रूप से अधिक बराबरी के स्तर पर बात करते हैं।
विदेश मंत्री ने राहुल को मनमोहन सिंह की अगुआई वाली सरकार की पाकिस्तान नीति की खास तौर पर याद दिलाई है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान अब बालाकोट व उड़ी और शर्म-अल-शेख, हवाना और मुंबई हमले के बीच का अंतर बखूबी समझता है। राहुल गांधी को टैग करते हुए सबसे पहले उन्होंने कहा, 'प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के साथ हमारी साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। अमेरिका, रूस, जापान, यूरोपीय संघ के साथ लगातार हो रही बैठकें और अनौपचारिक वार्ताओं से यह साबित होता है। चीन से भी भारत एक समान राजनीतिक शर्तों पर बात कर रहा है। इस बार में आप किसी भी विशेषज्ञ से पूछ लीजिए।
भूटान के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने लिखा है कि भूटान को भारत के रूप में एक मजबूत सुरक्षा और विकास करने वाला साझीदार मिल गया है। वर्ष 2013 जैसी स्थिति नहीं है जब हमारे पड़ोसी देश को रसोई गैस के लिए चिंता करनी पड़ रही थी। आप किसी भी भूटानी गृहस्थ से पूछ लें। अफगानिस्तान में सलमा डैम, संसद जैसे तमाम विकास कार्यों को पूरा किया गया है। प्रशिक्षण को बढ़ाया गया है और कनेक्टिविटी पर काम हो रहा है। आप अफगानिस्तान की गलियों में इसके बारे में पूछ सकते हैं।
विदेश मंत्री ने अंत में राहुल को यह भी याद दिलाया कि उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया है। जयशंकर ने लिखा, 'पाकिस्तान को अब बालाकोट व उड़ी और शर्म-अल-शेख व हवाना का अंतर मालूम है। यह बात आपको खुद से पूछनी चाहिए।'
बालाकोट व उड़ी को भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के लिए जाना जाता है जबकि शर्म-अल-शेख (वर्ष 2009) में भारत पहली बार पाकिस्तान से बलूचिस्तान में हिंसा पर बात करने को तैयार हुआ था। तब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पाकिस्तान पीएम युसूफ अली गिलानी के बीच बैठक के बाद घोषणापत्र में बलूचिस्तान का जिक्र किया गया था और कहा गया था कि दोनों देश एक दूसरे को भविष्य में आतंकी घटनाओं के बारे में खुफिया सूचनाएं देंगे। इसको पाकिस्तान ने इस तरह से देखा था कि जैसे भारत ने बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाओं के पीछे अपनी भूमिका मान ली है। विपक्षी पार्टी भाजपा ने इसे संप्रग सरकार की ऐतिहासिक भूल करार दिया था।