संसद का गतिरोध तोड़ने पर सरकार और विपक्ष के बीच अभी संवाद नहीं
सरकार और विपक्ष दोनों इस मामले में अपने सियासी तेवर नरम करने को फिलहाल तैयार नहीं दिखायी दे रहे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएनबी घोटाले की गूंज से पूरे हफ्ते ठप रही संसद की कार्यवाही सोमवार को भी चल पाएगी, इस पर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। सरकार और विपक्ष दोनों इस मामले में अपने सियासी तेवर नरम करने को फिलहाल तैयार नहीं दिखायी दे रहे। विपक्ष नीरव मोदी-मेहुल चोकसी के घोटाले की गंभीरता दर्शाने के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये बहस की मांग छोड़ने को तैयार नहीं तो सरकार लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा से अधिक पर सहमत होने को राजी नहीं। सत्तापक्ष और विपक्ष की इस सियासी तनातनी की वजह से ही शुक्रवार को भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई।
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण का पहला हफ्ता शोर-शराबे की भेंट चढ़ने के बाद भी सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध दूर करने का कोई फार्मूला अभी नहीं निकला है। विपक्षी दलों का कहना है कि सुलह फार्मूला तो दूर सरकार ने गतिरोध दूर करने के लिए विपक्ष के साथ अब तक कोई संवाद भी शुरू नहीं किया है। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद का इस बारे में कहना था कि सभी विपक्षी पार्टियां दोनों सदनों में पीएनबी घोटाले को उठाते हुए अपनी बात कहना चाहती हैं मगर हमारी मांग अनसुनी की जा रही है। यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने विपक्ष के सख्त तेवरों का संकेत मुंबई के एक कार्यक्रम में यह कहते हुए दिया कि अगर हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो फिर हम भी दूसरे की नहीं सुनेंगे। सोनिया ने संसद के भीतर विपक्ष को अपनी बात रखने या आवाज उठाने से रोकने का भी गंभीर आरोप लगाया।
जबकि सत्ता पक्ष के सूत्रों ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार पहले ही लोकसभा में नियम 193 के तहत पीएनबी घोटाले पर बहस के लिए कह चुके हैं। सत्तापक्ष का यह भी कहना है कि वोटिंग नियम या कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये बहस की विपक्ष की जिद सियासी है। संसद के गलियारों में पक्ष और विपक्ष दोनों खेमों के बीच यह चर्चा भी गरम है कि उत्तरप्रदेश के फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव तक गतिरोध के हल निकलने के आसार कम हैं।
सरकार-विपक्ष में सुलह के बिना गतिरोध नहीं होगा खत्म: स्पीकर
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी साफ कहा है कि संसद कागतिरोध खत्म करना अकेले उनके वश में नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार और विपक्ष से वे आग्रह ही कर सकती हैं और दोनों के बीच जब तक सुलह पर बात नहीं बनती है गतिरोध दूर नहीं होगा। संसद में विपक्ष की आवाज दबाने के सोनिया गांधी के गंभीर आरोपों के बारे में पूछे जाने पर स्पीकर ने कहा कि हंगामे की हालत यह होती है कि कई बार उन्हें भी बोलने नहीं दिया जाता। महाजन ने कहा कि कई बार विशेष नियम के तहत ही बोलने की जिद की जाती है और यह जरूरी नहीं कि जो जिस नियम में चाहे उसी में बात उठाने की मैं इजाजत दूं। उन्होंने कहा कि नियम से सभी सदन चलाएं यह तो ठीक है मगर अभी तो सारे नियम ताक पर रख दिये गए हैं। पीएनबी घोटाले पर चर्चा के बारे में स्पीकर ने कहा कि नियम 193 के तहत बहस हो सकती है।