शिवराज सिंह चौहान नहीं होगे नेता प्रतिपक्ष, जानिए क्यों बन रहे ऐसे समीकरण?
भाजपा का एक वर्ग पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नहीं ब्राह्मण वर्ग से किसी को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपना चाहता है।
By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 08:05 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 08:05 AM (IST)
भोपाल, नई दुनिया ब्यूरो। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद भारतीय जनता पार्टी को एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन किए जाने से अगड़ी जातियों के नाराज होने का अहसास हो गया है। इस वजह से भाजपा का एक वर्ग पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहता है।
भाजपा संगठन की मानें तो वह ब्राह्मण वर्ग से किसी नेता को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपना चाहता है। इस वर्ग में नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव दो बड़े नाम हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी यही सोच है कि नेता प्रतिपक्ष की कमान अगड़ी जाति को सौंपी जाए।
भाजपा में इन दिनों तूफान के पहले शांति जैसा माहौल है। इसकी वजह है सत्ता से 15 साल बाद हुई विदाई। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद से भाजपा में कोई हलचल नहीं है। एक सप्ताह बीतने के बाद भी भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाए जाने पर कोई चर्चा तक नहीं हुई है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष के चयन में एकमत नहीं होने के कारण विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जा रही है। पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कुछ दिनों पहले ये बयान दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए। बिसेन के बयान पर चौहान ने सीधेतौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन ये इशारा जरूर कर दिया कि वे केंद्र की राजनीति नहीं करना चाहते हैं। आशय साफ है कि वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद चाहते हैं।
इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि नरोत्तम मिश्रा या गोपाल भार्गव में से किसी एक के नाम पर नेता प्रतिपक्ष के लिए मुहर लग सकती है। इसका कारण एट्रोसिटी एक्ट को माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि अब तक शहरी और अगड़ी जातियों के वोट भाजपा को मिला करते थे, लेकिन इस चुनाव में वे पार्टी से दूर हो गए।
पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनावी हार को लेकर अगले महीने 11 जनवरी से होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में चर्चा होगी। बीते सप्ताह शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में आभार यात्रा निकालने का एलान भी किया था। इसे लेकर भी सियासत गर्माई हुई है। संगठन ने अब तक यात्रा को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि हर विधायक अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट कर रहा है, ऐसे हालात में यात्रा का कोई औचित्य नहीं है।
सशक्त भूमिका निभाएंगे
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इस संबंध में प्रदेश के नेतृत्व और विधायकों से परामर्श कर उचित फैसला करेगा। सभी मिलकर सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। - डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, मप्र
भाजपा संगठन की मानें तो वह ब्राह्मण वर्ग से किसी नेता को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपना चाहता है। इस वर्ग में नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव दो बड़े नाम हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी यही सोच है कि नेता प्रतिपक्ष की कमान अगड़ी जाति को सौंपी जाए।
भाजपा में इन दिनों तूफान के पहले शांति जैसा माहौल है। इसकी वजह है सत्ता से 15 साल बाद हुई विदाई। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद से भाजपा में कोई हलचल नहीं है। एक सप्ताह बीतने के बाद भी भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाए जाने पर कोई चर्चा तक नहीं हुई है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष के चयन में एकमत नहीं होने के कारण विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जा रही है। पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कुछ दिनों पहले ये बयान दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए। बिसेन के बयान पर चौहान ने सीधेतौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन ये इशारा जरूर कर दिया कि वे केंद्र की राजनीति नहीं करना चाहते हैं। आशय साफ है कि वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद चाहते हैं।
इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि नरोत्तम मिश्रा या गोपाल भार्गव में से किसी एक के नाम पर नेता प्रतिपक्ष के लिए मुहर लग सकती है। इसका कारण एट्रोसिटी एक्ट को माना जा रहा है। पार्टी का मानना है कि अब तक शहरी और अगड़ी जातियों के वोट भाजपा को मिला करते थे, लेकिन इस चुनाव में वे पार्टी से दूर हो गए।
पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनावी हार को लेकर अगले महीने 11 जनवरी से होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में चर्चा होगी। बीते सप्ताह शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में आभार यात्रा निकालने का एलान भी किया था। इसे लेकर भी सियासत गर्माई हुई है। संगठन ने अब तक यात्रा को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि हर विधायक अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट कर रहा है, ऐसे हालात में यात्रा का कोई औचित्य नहीं है।
सशक्त भूमिका निभाएंगे
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इस संबंध में प्रदेश के नेतृत्व और विधायकों से परामर्श कर उचित फैसला करेगा। सभी मिलकर सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। - डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, मप्र
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें