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आरएसएस प्रमुख भागवत कहा- देश को नेता नहीं, नायक चाहिए

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आज देश को नेता की नहीं नायक की आवश्यकता है। आज हर व्यक्ति सामने आकर नेता बनने का प्रयास करता है यह ठीक नहीं है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 07:13 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 07:13 PM (IST)
आरएसएस प्रमुख भागवत कहा- देश को नेता नहीं, नायक चाहिए
आरएसएस प्रमुख भागवत कहा- देश को नेता नहीं, नायक चाहिए

गुना, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आज देश को नेता की नहीं, नायक की आवश्यकता है। आज हर व्यक्ति सामने आकर नेता बनने का प्रयास करता है, यह ठीक नहीं है। वे शनिवार सुबह स्थानीय छतरपुरिया गार्डन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के युवा संकल्प शिविर को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक समाज नहीं बदलता, देश का भविष्य नहीं बदल सकता।

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आज हमें स्वयं कुछ न करते हुए सब कुछ प्राप्त करने की अपेक्षा करने की गलत आदत बन गई है। यदि भवसागर से पार होना है, तो के वल प्रार्थना से काम नहीं चलेगा। आपको सद्कर्म भी करने होंगे। इसी प्रकार यदि आप राष्ट्र का उत्थान चाहते हैं, तो आपको इसके लिए प्रयास भी करने होंगे। उन्होंने कहा कि कु छ लोग कभी सामने नहीं आते हैं, लेकिन वह नींव के पत्थर का काम करते हुए देश के हित में अपना जीवन लगा देते हैं। उनका नाम भी कोई नहीं जानता, लेकि न उनके प्रयासों के कारण देश का नाम और ख्याति लगातार बढ़ रही है। आज हमें उन लोगों की पद्धति का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए।

हमारा व्यक्तित्व भी उन्हीं की तरह होना चाहिए। इस दौरान मंच पर संघ के मध्य क्षेत्र के संघचालक अशोक सोहानी और प्रांत संघचालक सतीश पिंपलकर भी उपस्थित थे।

गुना-शिवपुरी सांसद ने भी की भेंट

सरसंघचालक डॉ. भागवत दोपहर 12.50 पर सदर बाजार में संघ के वरिष्ठ अधिकारी अशोक अग्रवाल के घर पहुंचे। वहां भोजन किया। इस अवसर पर गुना-शिवपुरी सांसद डॉ. के पी यादव ने सपत्नीक वहां सरसंघचालक से भेंट की। सुरक्षा के मद्देजनर प्रशासन ने सदर बाजार में दो घंटे तक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया था। दोपहर 3.10 पर सरसंघचालक अशोकनगर जिले में स्थित आनंदपुर ट्रस्ट के लिए रवाना हो गए।

स्वयंसेवकों ने किया पावनखंड युद्घ का प्रदर्शन

शिविर में शामिल स्वयंसेवकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान हुए पावनखंड युद्घ का प्रदर्शन किया। इसमें बताया गया कि शिवाजी के 300 सैनिकों की टुकड़ी ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने युद्घ कौशल से 10 हजार सैनिकों वाली मुगल सेना को पराजित किया था। इसके अलावा स्वयंसेवकों ने कबड्डी, व्यायाम सहित अन्य शारीरिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया। सर्जीकल स्ट्राइक और जलियावाला कांड पर पर आधारित नाटकों का मंचन किया।


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