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RSS खालिस्तानियों की तरह सबरीमाला मंदिर पर चाहता है कब्जा: सीपीएम

रामाचंद्रन ने एक बयान में कहा, वे (आरएसएस कार्यकर्ता) तालीबानी और खालिस्तानी आतंकियों की तरह बर्ताव करते नजर आ रहे हैं। वे सबरीमाला मंदिर में समस्याएं पैदा करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 10:44 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 12:31 PM (IST)
RSS खालिस्तानियों की तरह सबरीमाला मंदिर पर चाहता है कब्जा: सीपीएम
RSS खालिस्तानियों की तरह सबरीमाला मंदिर पर चाहता है कब्जा: सीपीएम

नई दिल्‍ली, एएनआइ। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) पोलितब्यूरो के सदस्य एस. रामचंद्रन पिल्लै ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर बड़ा विवादित बयान दिया है। रामचंद्रन ने एक बयान में कहा, 'वे (आरएसएस कार्यकर्ता) तालिबान और खालिस्तानी आतंकवादियों की तरह बर्ताव करते नजर आ रहे हैं। वे सबरीमाला मंदिर में समस्याएं पैदा करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? उन्हें हर चीज शांतिपूर्ण ढंग से होने देना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं होने दे रहे हैं। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए हर उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी है। अब सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। इसी पर विवाद चल रहा है।

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इससे पहले मंगलवार को सबरीमाला मामले में आरएसएस के हस्तक्षेप को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह आरएसएस को सबरीमाला में दूसरा अयोध्या नहीं बनाने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ परिवार सबरीमाला के बहाने प्रदेश को बदनाम कर रहा है। पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को उचित ठहराते हुए सीएम ने कहा कि रविवार रात समस्या पैदा करने का प्रयास करने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

ये है मामला
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकती थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।

तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है मंदिर
यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पिछले साल बनाई गई थी संविधान पीठ
पिछले साल 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने अनुच्छेद-14 में दिए गए समानता के अधिकार, अनुच्छेद-15 में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव रोकने, अनुच्छेद-17 में छुआछूत को समाप्त करने जैसे सवालों सहित चार मुद्दों पर पूरे मामले की सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ के हवाले कर दी थी। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता 'द इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन' ने सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के इस मंदिर में पिछले 800 साल से महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी। याचिका में केरल सरकार, द त्रावनकोर देवस्वम बोर्ड और मंदिर के मुख्य पुजारी सहित डीएम को 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने की मांग की थी। इस मामले में सात नंवबर 2016 को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार अयप्पा
पौराणिक कथाओं के अनुसार अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है। इनका एक नाम हरिहरपुत्र भी है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव, इन्हीं दोनों भगवानों के नाम पर हरिहरपुत्र नाम पड़ा। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है। इनके दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है सबरीमाला। इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है।


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