ईडी ऑफिस में तीसरे दिन राबर्ट वाड्रा से आठ घंटे से अधिक हुई पूछताछ
2016 में जब आयकर विभाग ने रक्षा सौदों की दलाली करने वाले संजय भंडारी के यहां छापा मारा तो राबर्ट वाड्रा के साथ करीबी संबंधों का पता चला।
नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। कांग्रेस पार्टी की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के पति राबर्ट वाड्रा से तीसरे दिन भी ईडी ने आठ घंटे से अधिक पूछताछ की। मनी लांड्रिंग मामले में अपने बयान दर्ज कराने के लिए 50 वर्षीय वाड्रा ईडी के मध्य दिल्ली स्थित दफ्तर जामनगर हाउस शनिवार की सुबह करीब 10.45 बजे पहुंचे। बीच में उन्हें एक घंटे का लंच ब्रेक दिया गया जिसके लिए वह दफ्तर से दोपहर 1.50 बजे निकले।
जांच के लिए वह वापस 2.50 बजे लौटे। उनसे देर शाम 8.30 बजे तक पूछताछ चलती रही। इसके बाद ही वह ईडी के दफ्तर से बाहर निकले। गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग के मामले में राबर्ट वाड्रा से ईडी ने पिछले तीन दिनों में करीब 24 घंटे पूछताछ की है। इससे पहले, छह फरवरी और सात फरवरी को क्रमश: साढ़े पांच घंटे और नौ घंटे पूछताछ हुई थी।
उल्लेखनीय है कि वाड्रा पर रक्षा सौदे की दलाली में मिली रकम से लंदन में कई बेनामी संपत्तियां बनाने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार लंदन की 19 लाख पाउंड (करीब 17 करोड़ रुपये) कीमत के 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर स्थित बंगले समेत दो घर कुल 50 लाख पाउंड (करीब 45 करोड़ रुपये) कीमत के वाड्रा के ही हैं। इसके अलावा भी बेनामी संपत्ति के रूप में वाड्रा के लंदन में छह अन्य फ्लैट और कई अन्य संपत्तियां भी हैं।
राबर्ट वाड्रा के लिए मुश्किलें अभी और भी बढ़ने वाली हैं। चूंकि उन्हें अपने बीकानेर जमीन घोटाले से जुड़े जयपुर के एक मनी लांड्रिंग के एक मामले में ईडी के समक्ष 12 फरवरी को भी पेश होना है। राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें जांच एजेंसी से सहयोग करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि वाड्रा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए 2 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत से एक पखवाड़े के लिए अग्रिम जमानत ले रखी है।
ये है मामला
बता दें कि यह मामला लंदन में 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर पर 19 लाख पाउंड की संपत्ति की खरीद में कथित रूप से धनशोधन के आरोप से जुड़ा हुआ है। यह संपत्ति कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा की कही जाती है। इस जांच एजेंसी ने अदालत से यह भी कहा था कि उसे लंदन की कई नयी संपत्तियों के बारे में सूचना मिली है जो वाड्रा की है। इनमें पचास और चालीस लाख पाउंड के दो घर और छह अन्य फ्लैट और अन्य संपत्तियां हैं।
विवादों से राबर्ट वाड्रा का पुराना नाता है। उनकी कंपनियों पर बार-बार विवादित सौदों के आरोप लगते रहे हैं। सबसे पहले 2011 में वाड्रा पर गुरुग्राम में 300 करोड़ की संपत्ति अवैध तरीके से बनाने का आरोप लगा था। यह अलग बात है कि अब पहली बार उनपर कानून का शिकंजा कसता दिख रहा है और उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होकर बेनामी संपत्ति के आरोपों पर जवाब देना पड़ा है।
मूल रूप से मुरादाबाद के तांबे के बर्तनों के कारोबारी के घर पैदा हुए राबर्ट वाड्रा की शादी 1997 में प्रियंका गांधी से हुई थी। इसके बाद उन्होंने हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं के निर्यात का कारोबार शुरू किया। 2004 में संप्रग की सरकार बनने के तीन साल बाद राबर्ट वाड्रा ने एक के बाद कई कंपनियां शुरू की। जिनमें मुख्यतौर पर वे और उनकी मां मॉरीन वाड्रा निदेशक हैं। 2014 में वॉल स्ट्रीट जनरल में छपी एक खबर के मुताबिक 2007 में एक लाख रूपये की पूंजी से शुरू की गई वाड्रा की कंपनियों की कुल संपत्ति 2012 में 300 करोड़ रुपये से ऊपर हो गई थी।
वैसे वाड्रा पहली बार विवादों के केंद्र में 2011 में आए। डीएलएफ से 65 करोड़ रुपये का लोन लेकर उसी की जमीन खरीद के मामले में विपक्ष ने मुद्दा बनाया और वाड्रा पर गुरूग्राम में 300 करोड़ की संपत्ति अवैध तरीके से हथियाने का आरोप लगाया था। लेकिन तमाम विवादों के बाद भी डीएलएफ मामलों को कंपनी का कारोबारी मामला बताया गया और वाड्रा जांच एजेंसियों के चंगुल से साफ बच निकले।
उनकी असली मुसीबत तब शुरू हुई जब बीकानेर जमीन घोटाले में उनकी कंपनी स्काईलाइट हास्पिलिटी का नाम आया। इस मामले की ईडी मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही है। इस मामले में ईडी की पूछताछ से अब तक बचते रहे राबर्ट वाड्रा को राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 फरवरी को ईडी के सामने पेश होने का आदेश दिया था। इसके साथ ही गुड़गांव के कई जमीन सौदों में उनकी भूमिका जांच के दायरे में है।
2016 में जब आयकर विभाग ने रक्षा सौदों की दलाली करने वाले संजय भंडारी के यहां छापा मारा तो राबर्ट वाड्रा के साथ करीबी संबंधों का पता चला। भंडारी के पास मिले दस्तावेजों से राबर्ट वाड्रा की विदेशों में बेनामी संपत्तियों की सूची देखकर जांच एजेंसियां चौंक गई। आशंका है कि ये संपत्तियां रक्षा और पेट्रोलियम सौदों में दलाली की रकम से बनाई गईं थी। ईडी ने इस मामले में मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू कर दी।
कानून का बढ़ते शिकंजे को देखते हुए संजय भंडारी नेपाल के रास्ते देश से फरार हो गया। लेकिन संजय भंडारी के पास के मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी वाड्रा के खिलाफ सबूत जुटाती रही और पिछले साल दिसंबर में वाड्रा की कंपनियों पर छापा भी मारा।
ईडी ने इस मामले में वाड्रा के सहयोगी मनोज अरोड़ा से भी पूछताछ शुरू की। तब जाकर वाड्रा को पहली बार गिरफ्तारी की डर सताने लगा। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई। अदालत ने 16 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए ईडी के सामने पेश होने का आदेश दे दिया।