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राजस्थान कांग्रेस में विवाद जारी, मुख्यालय से हटाई गई गहलोत के करीबी नेता की नेम प्लेट

Lok Sabha Election 2019 में सभी 25 सीटों पर हार के बाद कांग्रेस में विवाद थमता नहीं दिख रहा है। सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के नजीदीकी मुमताज मसीह का कक्ष बदल दिया।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 07:18 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 07:18 PM (IST)
राजस्थान कांग्रेस में विवाद जारी, मुख्यालय से हटाई गई गहलोत के करीबी नेता की नेम प्लेट
राजस्थान कांग्रेस में विवाद जारी, मुख्यालय से हटाई गई गहलोत के करीबी नेता की नेम प्लेट

जयपुर, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019  में सभी 25 सीटों पर हार के बाद कांग्रेस में विवाद थमता नहीं दिख रहा है। विवाद का आलम यह है कि चुनाव में हार के बाद सीएम अशोक गहलोत को इसका जिम्मेदार बताते हुए इस्तीफा मांगा गया। यही नहीं सीएम अशोक गहलोत ने उप मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को अपने बेटे वैभव गहलोत की जोधपुर से हार का जिम्मेदारी लेने को कहा। इसी विवाद के बीच पायलट ने प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में नेताओं के कक्ष बदल दिया।

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इसकी गाज गहलोत के खास माने जाने वाले मुमताज मसीह पर गिरी। इस कक्ष से मसीह के नाम का पट्टी हटाकर पायलट ने वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अपने समर्थक नेता को आंवटित कर दिया। मुमताज ने इसे लेकर कहा कि चाहे स्थिति कैसी भी हो वो अपना काम करते रहेंगे,लेकिन कक्ष में बदलाव करते समय मुझे जानकारी दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस कक्ष में मैं पिछले 20 साल से बैठ रहा हूं। अब यह मामला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे तक पहुंच गया है। पांडे ने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। 

जानें पूरा घटनाक्रम 

शुक्रवार सुबह जब मसीह अपने दफ्तर पहुंचे तो उन्हें कक्ष से उनके नाम की पट्टी गायब मिली। उनसे कहा गया कि ये कमरा अब वरिष्ठ उपाध्यक्ष को आंवटित कर दिया गया है। अब इस कक्ष में पायलट समर्थक गोपाल सिंह ईडवा बैठेंगे। मसीह को उपाध्यक्षों के लिए बने कॉमन रूम में बैठने के लिए कहा गया। मसीह को अशोक गहलोत का नजीदीकी माना  जाता है। बता दें कि प्रदेश कांग्रेस में तीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष है, लेकिन इनमें से दो गहलोत सरकार में मंत्री बन गए। अब वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईड़वा इस कक्ष में बैठेंगे। ईड़वा सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं। ईड़वा ने कहना है कि सचिन पायलट ने ये बदलाव इसलिए किया कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए अलग से कक्ष नहीं था। इसका राजनीति से कोई संबध नहीं है। 

दो खेमों में बंटी कांग्रेस

गौरतलब है कि पायलट और गहलोत के बीच लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद से ही ठनी हुई है। गहलोत हार के लिए पायलट को जिम्मेदारी लेने के लिए कह चुके है तो पायलट के कई समर्थक हार के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराकर गहलोत के इस्तीफे की मांग कर चुके है। खुद पायलट भी गहलोत पर निशाना साध चुके है। दो दिन पहले पायलट समर्थक एक विधायक पी.आर मीणा को राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने नोटिस देकर जवाब तलब किया है। पांडे ने राजस्थान कांग्रेस के नाम पर एक एडवायजरी जारी कर मर्यादा में रहने की अपील की है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. बवाल थामने के लिए हार की समीक्षा के लिए पार्टी हाईकमान ने 11 जून तक प्रदेश कांग्रेस से रिपोर्ट भी मांगी है, लेकिन दोनों ही खेमें फिलहाल हथियार डालने को तैयार नहीं है। 

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