पाक पर भारी पड़ेगा एमएफएन दर्जे की वापसी, भारत के दबाव से चरमराई पाक की अर्थव्यवस्था
भले ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन भारत की तरफ से लगातार दबाव का असर उसके आर्थिक हालात पर जरुर दिखाई देता है।,
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति नए सिरे से शुरु की है वह पाकिस्तान के आर्थिक हालात के लिए बहुत घातक साबित हो सकती है। पड़ोसी देश से सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र का दर्जा वापस लेने का फैसला भी दूरगामी असर वाला साबित होगा और इससे निवेशकों को जुटाने के लिए पाकिस्तान पीएम इमरान खान की कोशिशों पर भी पानी फिर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय जगत की प्रतिष्ठित थिंक टैंक ब्रूकिंग्स के फेलो ध्रुव जयशंकर का कहना है कि पूर्व में भी भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को जब अलग-थलग करने की कोशिश की है तो उसका पाकिस्तान के आर्थिक हालात पर काफी असर पड़ा है।
जयशंकर ने इस बारे में विस्तार से टी्वट किया है। उन्होंने कहा है कि भारत ने पाकिस्तान को फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के तहत डालने की मुहिम चलाई जिसका असर यह हुआ है कि उसकी कठोर निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में उसे डाल दिया गया है। इससे चीन भी नहीं बचा सका। इसके असर से पाकिस्तान को बड़ा झटका लग चुका है। उसकी मुद्रा में भारी अवमूल्यन हो चुका है, उसकी क्रेडिट रेटिंग घटाई जा चुकी है, शेयर बाजार काफी गिर चुका है, विदेशी निवेशक भाग चुके हैं।
वर्ष 2014 के बाद से अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद में भारी गिरावट के पीछे भी यही वजह है कि पाकिस्तान की आतंकी भूमिका को लेकर सारे देश सतर्क हुए हैं। हालात यह है कि वर्ष 2014 के बाद भारत की प्रति व्यक्ति आय जहां दोगुनी हो चुकी है वही पाकिस्तान की आय में महज 50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
भले ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन भारत की तरफ से लगातार दबाव का असर उसके आर्थिक हालात पर जरुर दिखाई देता है।
इसके अलावा जब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा खत्म होगा तो इससे चीन की तरफ से पाकिस्तान में होने वाले निवेश पर भी असर पड़ेगा। निवेश प्रभावित होने की वजह से चीन पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है कि वह अपनी राह बदले।
चीन की तरफ से पाकिस्तान से जुड़ी परियोजनाओं में 19 अरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है जिसका एक बड़ा हिस्सा वहां की ऊर्जा परियोजनाओं में किया जा रहा है। चीन की कंपनियां भारत में भी बड़ा निवेश कर रही है। सिर्फ चीन की टेलीकाम कंपनियां भारत में 7 अरब डॉलर का निवेश कर रही हैं। ऐसे में चीन यह भी नहीं चाहेगा कि भारत में होने वाले निवेश पर भी असर हो।