चुनावी साल में हरियाणा भाजपा संगठन में फेरबदल की कवायद शुरु
सरकार और संगठन में बहुत कुछ बदलने की रणनीति बनाई जा रही है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। चुनावी साल में हरियाणा प्रदेश भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए जरूरी फेरबदल की कवायद शुरु हो गई है। इसके लिए सरकार और संगठन में बहुत कुछ बदलने की रणनीति बनाई जा रही है। इसी चक्कर में राजनीतिक समायोजन के तहत जिन लोगों को सरकार में 'कुर्सी' मिल गई थी, उनके सेवा विस्तार के मंसूबों पर पानी फिर सकता है। हालांकि उनमें से कुछ खास और अहम नेताओं को चुनावी मोर्चे पर लगाने की तैयारी है। जबकि नये लोगों को सरकार में ओहदा मिल सकता है।
असंतुष्ट युवा नेताओं को आयोग, बोर्ड व निगमों में दी जा सकती है जगह
राज्य पार्टी संगठन में असंतोष का पारा ऊपर चढ़ता जा रहा है, उस पर काबू पाने के लिए नये लोगों को निगमों, बोर्डो और अन्य तरह की सीटों पर समायोजित किये जाने पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि असंतुष्ट लोगों के भरोसे पार्टी संगठन चुनाव में नहीं जा सकता है। इसलिए व्यापक फेरबदल की रणनीति बनायी जा रही है। इसका संकेत भी दिया जाने लगा है। राज्य के विभिन्न आयोग, बोर्ड व निगमों में 50 से अधिक पार्टी नेताओं को समायोजित किया गया है। सालभर के निर्धारित कार्यकाल को जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जाता रहा है।
पहले से जमे लोगों को नहीं मिलेगा विस्तार, संगठन में मिलेगा दायित्व
पार्टी सूत्रों की मानें तो ऐसे तमाम लोगों को सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। उनमें से कुछ काबिल लोगों को विभिन्न मोर्चो पर लगाया जाएगा। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ विधानसभा की रणनीति भी बनाई जा रही है। सेवा विस्तार न पाने वाले कुछ काबिल लोगों को विधानसभा स्तर के चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस आशय की उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है।
विधानसभा चुनाव में जिन लोगों के टिकट काटे जा सकते हैं, उन हलकों में वैकल्पिक लोगों को लगाया जाना तय है।
राज्य में इनेलो-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की तैयारियों को देखते हुए भाजपा संगठन के स्तर पर बहुत सक्रिय नहीं है। चुनावी साल शुरु होने के साथ ही पार्टी नेताओं की चिंताएं बढ़ गई हैं। प्रदेश में सरकार की नीतियों और उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने वाली संगठन की मशीनरी ढीली मानी जा रही है। पार्टी के उच्च स्तर के नेता सरकार में पहुंच गये हैं। दूसरे स्तर के नेताओं को विभिन्न जगहों पर राजनीतिक रूप से समायोजित कर दिया गया है।
प्रदेश सरकार के कामकाज के तौर तरीके में आमूलचूल परिवर्तन से पार्टी कार्यकर्ता हैरत में है। हरियाणा में पिछली सरकारें जिस तरीके से चलती थीं, वर्तमान भाजपा सरकार की कार्य प्रणाली बिल्कुल उलट है।
नौकरियों का कोटा नेताओं के बीच नहीं बांटा जाता है। संस्थागत अनियमितताओं पर काबू पाने में सरकार को सफलता मिली है। लेकिन पार्टी के एक धड़े को यह सब रास नहीं आ रहा है, जिससे वह नाराज है।