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कानून वापसी को कांग्रेस ने बताया अन्नदाता की जीत; जानिए सपा, बसपा समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा

कृषि कानून की वापसी कांग्रेस के लिए यह मुद्दा इतना बड़ा था कि सोनिया गांधी ने भी एक सधा हुआ बयान जारी किया जिसमें उन्होंने सरकार को घेरा और कहा कि सत्य न्याय व अहिंसा की जीत हुई है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 08:56 PM (IST)
कानून वापसी को कांग्रेस ने बताया अन्नदाता की जीत; जानिए सपा, बसपा समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा
सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और मायावती की फाइल फोटो

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद कांग्रेस इसे किसानों के साथ खुद की जीत से भी जोड़कर देख रही है। यही वजह है कि सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने मोर्चा संभाला और सरकार पर इन्हें वापस लेने में देरी को लेकर सवाल भी खड़े किए। सोनिया गांधी ने कहा कि आज खेती विरोधी तीनों काले कानून हारे और अन्नदाता की जीत हुई। वहीं राहुल गांधी ने कहा कि अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया।

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तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद कांग्रेस की ओर से पहला ट्वीट राहुल गांधी ने ही किया। उन्होंने लिखा, ' अन्याय के खिलाफ यह जीत मुबारक हो। जय हिंद, जय हिंद का किसान।' इसके बाद राहुल गांधी ने एक और ट्वीट में लिखा, 'जीत उनकी भी जो लौट के घर न आए, हार उनकी ही है जो अन्नदाताओं की जान बचा न पाए।'

कांग्रेस के लिए यह मुद्दा इतना बड़ा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी एक सधा हुआ बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सरकार को घेरा और कहा कि सत्य, न्याय व अहिंसा की जीत हुई। उन सात सौ से अधिक किसानों की कुर्बानी रंग लाई जिन्होंने इस संघर्ष में अपनी जान न्योछावर की। उन्होंने कहा, 'मजबूर को यातना और याचना नहीं बल्कि न्याय और अधिकार चाहिए। यह हम सबका कर्तव्य भी है और संवैधानिक जिम्मेदारी भी। प्रजातंत्र में कोई भी निर्णय सबसे चर्चा कर सभी प्रभावित लोगों की सहमति और विपक्ष के साथ राय मशविरे के बाद ही लिया जाना चाहिए। उम्मीद है कि मोदी सरकार ने कम से कम भविष्य के लिए कुछ सीख ली होगी और एमएसपी सुनिश्चित करेगी। भविष्य में ऐसा कोई कदम उठाने से पहले राज्य सरकारों, किसान संगठनों और विपक्षी दलों की सहमति बनाई जाएगी।'

सुरजेवाला ने सरकार से पूछे पांच सवाल

वहीं प्रियंका गांधी ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि छह सौ से अधिक किसानों की शहादत और साल भर के लंबे संघर्ष की तो आपको कोई परवाह नहीं थी। अब जब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको सच्चाई समझ में आई। कांग्रेस प्रवक्ता व महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकार को घेरते हुए पांच सवाल भी पूछे। पहला- एमएसपी किसानों को मिले, इसका रोडमैप और रास्ता क्या है?, दूसरा-किसान की आय फरवरी 2022 तक दोगुना करने का वादा किया था, तो इसका रास्ता क्या है? तीसरा- डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर किसानों की कमर तोड़ने का जो काम किया है, उसे वापस करने का क्या इरादा है? चौथा- खेती पर जो टैक्स लगाया है, जीएसटी लगाया है उससे राहत देने का क्या रास्ता है? पांचवा-किसान को कर्ज से मुक्ति करने की क्या मंशा है?

अखिलेश यादव समेत इन बड़े नेताओं ने दिए ये बयान 

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि माफी मांगने से काम नहीं चलेगा, राजनीति छोड़ने का भी एलान करना चाहिए। मोदी सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। यह अहंकार की हार है और किसानों की जीत है। लखीमपुर के आरोपी मंत्री पर कार्रवाई कब होगी। क्या नोटबंदी के लिए भी सरकार माफी मांगेगी।

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह देर से लिया गया सही फैसला है। जो किसान शहीद हुए हैं उनके परिवार को उचित आर्थिक मदद और उनके परिवार में से किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। अभी उपज का समर्थन मूल्य देने संबंधी राष्ट्रीय कानून बनाने की खास मांग अधूरी पड़ी है। संसद के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में सरकार कानून बनाए।  आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवार को एक-एक करोड़ रुपये व एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। उनका स्मारक भी बनाया जाए।


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