करतारपुर कॉरिडोर के बहाने पाक मीडिया में हो रहा खालिस्तान का जिक्र
भारत की तरफ से सोमवार को डेरा बाबा नानक में श्री करतारपुर साहिब के लिए बॉर्डर तक बनने वाले कॉरिडोर की नींव रखी गई। इसी बहाने पाकिस्तान ने खालिस्तान मूवमेंट का जिक्र छेड़ दिया है।
अमृतसर, जेएनएन। भारत की तरफ से सोमवार को डेरा बाबा नानक में श्री करतारपुर साहिब के लिए बॉर्डर तक बनने वाले कॉरिडोर की नींव रखी गई। इसी बहाने पाकिस्तान ने खालिस्तान मूवमेंट का जिक्र छेड़ दिया है। पाकिस्तान के अखबार डेली टाइम्स ने संपादकीय में कॉरिडोर के बहाने भारत पर निशाना साधा है।
अखबार के मुताबिक भारत में सिख समुदाय डर के माहौल में जी रहा रहा है। इसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी उल्लेख किया गया है। संपादकीय में लिखा गया है कि भारत सरकार ने खालिस्तान की मांग के डर से यह फैसला लिया। भारत सरकार को यह आशंका थी कि अगर श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लिए रास्ता न खोला गया, तो खालिस्तान की मांग फिर से भड़क सकती है।
गौरतलब है कि पंजाब के कई जिलों में पिछले दिनों रेफरेंडम-2020 के पोस्टर लगाकर सिखों के लिए अलग राज्य की मांग की गई है। रेफरेंडम 2020 अभियान का मुख्य उद्देश्य पंजाब को शेष भारत से अलग करना है। विदेश में रह रहे गर्मख्याली सिख भी इसे समर्थन दे रहे हैं। अखबार ने इस्लामिक स्कॉलर मसूद अहमद खान के हवाले से लिखा है कि इस फैसले से सिखों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है।
अखबार लिखता है कि नवजोत सिद्धू की ओर से पाक सेना अध्यक्ष जावेद कमर बाजवा से गले मिलने के बाद ही यह फैसला मुमकिन हुआ। हालांकि भारत में सिद्धू को आलोचना का सामना करना पड़ा। अखबार के मुताबिक उस समय यह बेहतर शुरुआत थी,लेकिन भारत सरकार से इस पर कोई पहल नहीं की।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ननकाना साहिब में खालिस्तान समर्थक नारेबाजी व पोस्टर लगाए गए थे। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से लगाए गए इन पोस्टरों में भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। पोस्टरों में पाक सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के विवादित महासचिव गोपाल सिंह चावला की तस्वीर लगी थी। भारतीय एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ सिख समुदाय को उकसाने के मकसद से ऐसी हरकतों को अंजाम देती रहती है।
करतारपुर कॉरिडोर के फैसले को अंग्रेजी और उर्दू मीडिया ने खासी तरजीह दी है। पाक मीडिया का मानना है कि इस फैसले से लंबे समय से दोनों देशों में चल रहा विवाद खत्म हो सकता है। उर्दू मीडिया ने इस फैसले को भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में एक 'ठंडी हवा का झोंका'करार दिया है। हालांकि, पाकिस्तानी अखबार इस मौके पर भी भारत पर निशाना साधने से भी नहीं चूके। कई अखबारों के मुताबिक भारत में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सिखों को रिझाने के लिए मोदी सरकार बॉर्डर खोलने को राजी हुई है।
द न्यूज: करतारपुर कॉरिडोर पर सियासत का जिक्र
द न्यूज अखबार ने पहले पेज पर प्रकाशित समाचार में 'तनाव के माहौल में रखी करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला का उल्लेख किया। कैबिनेट मंत्री सुखविंदर सिंह रंधावा की ओर से अपने व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर काली टेप लगाने व मुख्यमंत्री की ओर से पाक सेना प्रमुख को दी गई चेतावनी का भी जिक्र किया गया है।
द नेशन: प्यार व शांति का संदेश देगा कॉरिडोर
पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक 'द नेशन'ने इस मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। अखबार ने भारत के उपराष्ट्रति वेंकैया नायडू के बयान दोनों देशों में 'प्यार और शांति का संदेश देगा कॉरिडोर' की सराहना की है। रंधावा प्रकरण व कैप्टन की चेतावनी का यहां भी जिक्र है।
डॉन:चार माह में पूरा होगा कॉरिडोर
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने भारत ने कॉरिडोर संबंधी समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। अखबार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हवाले से लिखा है कि यह कॉरिडोर चार माह में पूरा हो जाएगा। मुख्यमंत्री कैप्टन की ओर से पाक सेना अध्यक्ष को दी गई चेतावनी का भी उल्लेख किया है।
रोजनामा खबरें: सिख समुदाय को खुश करने का प्रयास
रोजनामा खबरें ने कॉरिडोर बनाने पर दोनों देशों के बीच बनी सहमति का स्वागत किया है और लिखा है कि इससे भारतीय सिख तीर्थ यात्रियों को बहुत आसानी होगी। पाकिस्तान की काफी तारीफ की गई है। अखबार की राय में,हो सकता है कि नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगियों ने सिख बिरादरी को खुश करने के लिए यह कदम उठाया हो,लेकिन इससे तनाव में कमी आएगी।
रोजानामा दुनिया: कॉरिडोर के बहाने कश्मीर राग अलापा
रोजानामा दुनिया के मुताबिक इससे दोनों देशों के श्रद्धालुओं को फायदा मिलेगा। हालांकि साथ ही अखबार ने कश्मीर का राग भी अलापा है और लिखा है कि दोतरफा तनाव को तभी कम किया जा सकेगा जब कश्मीर के लोगों पर जुल्म और अत्याचार बंद हों और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी हालात बेहतर बनाए जाएं।
रोजनामा पाकिस्तान: सिखों की हमदर्दी हासिल करना मकसद
रोजनामा पाकिस्तान का दावा है कि सिद्धू के खिलाफ हुए बवाल को देखकर लगता नहीं था कि इस प्रस्ताव पर अमल होगा। शायद 3 महीने के सोच विचार के बाद भारतीय सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि इस कदम के जरिए वो सिख समुदाय की हमदर्दी हासिल कर सकती है।
रोजनामा औसाफ: कॉरिडोर के पीछे लोकसभा चुनाव
रोजनामा औसाफ ने लिखा है कि भारत को सिखों के खालिस्तान आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है और पंजाब उसके हाथ से निकलता जा रहा है, इसीलिए वो ऐसा फैसला करने को मजबूर हुआ है।