माया का झटका, कांग्रेस की सफाई और अखिलेश की सलाह, जानिए भाजपा ने क्या कहा ?
कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस को संबोधित किया और कई मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। मायावती के तीखे हमलों से सन्न कांग्रेस में महागठबंधन बनने को लेकर आस पूरी तरह राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर टिकी है। आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से दूरी के मायावती के ऐलान के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शब्दों को तौलते हुए कहा- 'कई बार भावावेश में कुछ शब्द निकल जाते है, लेकिन उसका आशय कतई ऐसा नहीं होता है, जैसा समझा जाता है। मायावती के पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ रिश्ते काफी अच्छे हैं।' पर असहजता इस बात से साफ थी कि सवालों मे घिरे रणदीप यह कहकर कन्नी काट गए कि गठबंधन के सवाल जवाब पत्रकारवार्ता में तय नहीं होते हैं।
मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस का अड़ियल रुख गठबंधन में अड़चन है। ऐसे में सुरजेवाला ने बुधवार को मायावती से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि सीटों को लेकर तालमेल सबसे अहम होता है, लेकिन मायावती के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी की मार्गदर्शक सोनिया गांधी के साथ जिस तरह से संबंध है, उसमें बाकी अड़चनों को हम दूर कर लेंगे।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस से गठबंधन न करने के बसपा सुप्रीमों के फैसले पर उन्होंने कहा कि किस राज्य में किस दल के साथ गठबंधन जरूरी है, यह राज्य इकाइयों पर छोड़ा गया है। पार्टी ने इसके लिए प्रत्येक राज्यों में एक गठबंधन कमेटी गठित कर रखी है। राज्य ईकाई इस मामले में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और गठबंधन कमेटी से चर्चा कर कोई फैसला ले सकते है।
गौरतलब है कि मायावती का महीने भर के भीतर महागठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेरने वाली यह दूसरा बड़ा हमला है। इससे पहले 16 सिंतबर को मायावती ने यह बोलकर कांग्रेस जैसे दलों को हैरत में डाल दिया था, कि यदि महागठबंधन में उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिली, तो अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी।
मायावती ने कहा था- दिग्विजय नहीं चाहते गठबंधन
गौरतलब है कि इससे पहले मायावती ने बुधवार को कहा था कि दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेता कांग्रेस और बसपा का गठबंधन नहीं चाहते। मायावती ने कहा कि दिग्विजय सिंह ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों से डरते हैं। मायावती ने दिग्विजय को भाजपा का एजेंट तक बता दिया।
मायावती ने कहा, 'दिग्विजय कहते हैं कि मैं केंद्र सरकार के दबाव में हूं। ये आधारहीन आरोप हैं। मुझे लगता है कि सोनिया और राहुल गांधी कांग्रेस-बसपा गठबंधन को लेकर ईमानदार हैं। लेकिन, कांग्रेस के कुछ नेता उनके प्रयासों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बसपा राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।
मायावती ने यह भी कहा कि वे (कांग्रेस) घमंडी हो रहे हैं और उन्हें गलत धारणा है कि वे अकेले ही भाजपा को पराजित कर सकते हैं, लेकिन जमीन की वास्तविकता यह है कि लोगों ने कांग्रेस की पार्टी को उनकी गलतियों और भ्रष्टाचार के लिए माफ नहीं किया है। वे खुद को सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने बयान दिया था कि बसपा मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस से इसलिए गठबंधन नहीं करना चाहती क्योंकि मायावती सीबीआई से डरती है। जिसका जवाब आज मायावती ने दिया।
दिग्विजय सिंह बोले- मायावती का सम्मान करता हूं
वही मायावती के आरोप पर जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है, ‘मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मैं कांग्रेस-बीएसपी के गठबंधन के पक्ष में हूं और मायावती जी का सम्मान करता हूं। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस-बसपा गठबंधन की बात चली थी लेकिन वह नहीं मानी, एमपी में भी गठबंधन की बात हुई थी और उन्होंने 22 उम्मीदवार घोषित किए थे। मैं तो हमेशा से मोदी जी अमित शाह जी, बीजेपी और आरएसएस का कट्टर आलोचक रहा हूं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देशों का पालन करता हूं।
रविशंकर प्रसाद बोले- कांग्रेस के DNA में गठबंधन नहीं परिवार है
मायावती और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं बनने को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक बार फिर कांग्रेस के परिवारवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दूसरी पार्टियों से कैसा संबंध है, ये उनका मामला है लेकिन जहां तक गठबंधन का सवाल है तो मैं इतना ही कह सकता हूं कि कांग्रेस के डीएनए में गठबंधन नहीं बल्कि परिवार है।
अखिलेश भी बोले- कांग्रेस को उदारता दिखानी चाहिए
वहीं, लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कांग्रेस को आईना दिखाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उदारता दिखानी चाहिए। इसमें जितनी देरी होगी, वह अन्य दलों को विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करने के लिए उकसाएगी। मायावती का बयान जारी होने के कुछ ही देर बाद अखिलेश ने यहां पत्रकारों से कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा और एक बार फिर कह रहे हैं। समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ आना चाहिए। इसमें यदि कांग्रेस देरी करती है तो अन्य दल अपने प्रत्याशियों की घोषणा करने को मजबूर होंगे। फिर कांग्रेस दूसरे दलों पर यह आरोप लगाएगी कि भाजपा के साथ उनकी सांठगांठ हो गई है।