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पदोन्नति में आरक्षण पर आठवले बोले, पीएम मोदी से मिलकर जल्द ही बिल लाने की करेंगे मांग

आरपीआई नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आया फैसला अन्याय कारक और संविधान का भावना के अनुरूप नहीं है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 09:16 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 09:30 PM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण पर आठवले बोले, पीएम मोदी से मिलकर जल्द ही बिल लाने की करेंगे मांग
पदोन्नति में आरक्षण पर आठवले बोले, पीएम मोदी से मिलकर जल्द ही बिल लाने की करेंगे मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए आरपीआई नेता और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि सरकार के सभी दलित मंत्री और सांसद इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। साथ ही संसद में इसे ठीक करने को लेकर जल्द ही बिल लाने की मांग करेंगे। आठवले ने इस दौरान राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला और कहा कि वह केवल गलत अफवाह फैलाने का काम कर रहे है।

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आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अन्याय कारक: अाठवले

आरपीआई नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पदोन्नति में आरक्षण को लेकर आया फैसला अन्याय कारक और संविधान का भावना के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि वह पदोन्नति में आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की भी मांग करेंगे।

कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों के आरोपों पर उन्होंने कहा कि वह आरक्षण खत्म किए जाने का दुष्प्रचार कर रहे है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के अनुसार ही सरकार चला रहे है। एनडीए की सरकार समाज के सभी वर्गो के कल्याण के प्रयास में जुटी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लोकसभा में हंगामा

बता दें कि नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण देने के लिए राज्य बाध्य नहीं है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आरक्षण प्रणाली की रक्षा करने में नाकाम रही है। इस पर सरकार ने सदन में स्थिति स्पष्ट की कि यह मामला उत्तराखंड सरकार के एक फैसले से जुड़ा है और वह मामले में पक्षकार नहीं थी।

गौरतलब है कि पिछले साल एससी एसटी विधेयक को लेकर भी राजनीति गरमाई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून को थोड़ा सुस्त किया था। हालांकि उस वक्त सरकार की ओर से भी जताया गया था कि वह इसे सुधारेगी लेकिन कई दिनों तक संसद नहीं चल पाई थी। 


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