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दिल्ली दंगो पर बोले राम विलास पासवान, न्याय मिलने में 1984 के सिख दंगों की तरह न हो देरी

दिल्ली दंगो पर राम विलास पासवान ने यह संतोष जताया कि कम से कम एफआइआर तो दर्ज हो रहे हैं सिख दंगे के मामले में तो राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 08:11 PM (IST)
दिल्ली दंगो पर बोले राम विलास पासवान, न्याय मिलने में 1984 के सिख दंगों की तरह न हो देरी
दिल्ली दंगो पर बोले राम विलास पासवान, न्याय मिलने में 1984 के सिख दंगों की तरह न हो देरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली दंगे में सैकड़ों संदिग्धों के खिलाफ दर्ज एफआइआर के बाद अब केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने फास्ट ट्रैक कोर्ट से इसकी सुनवाई की मांग की है। 1984 के सिख दंगे में न्याय मिलने में लेट लतीफी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हाल की हिंसा की हालत वैसी नहीं होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह संतोष जताया कि कम से कम एफआइआर तो दर्ज हो रहे हैं, सिख दंगे के मामले में तो राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

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घायल सिख को घर में दी थी शरण

दिल्ली दंगे का जिक्र करते हुए पासवान 1984 में चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि उस वक्त तो हालात कुछ ऐसे हुए थे कि दंगाइयों से बचने के लिए उन्हें भी परिवार, पार्टी के बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर और बिहार से आए लगभग एक दर्जन विधायकों के साथ घर की दीवार फांदकर भागना पड़ा था। दरअसल उनके परिवार ने एक घायल सिख को शरण दी थी। तब पासवान संसद के बिल्कुल नजदीक 12, राजेंद्र प्रसाद रोड पर रहते थे। जब इसकी जानकारी दलित मजदूर किसान पार्टी के उपाध्यक्ष देवीलाल को मिली तो वह राष्ट्रपति तक पहुंच गए।

उन्होंने एफआइआर दर्ज करने के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया। तब जाकर तीन चार घंटे में पुलिस पासवान के घर पहुंची लेकिन तह तक दंगाइ वहां आग लगा चुके थे और पासवान बचकर भाग चुके थे। खुद देवीलाल ने तब इसकी जानकारी मीडिया को दी थी और यह खबर सुर्खियों में थी।

कार्रवाई में चुस्त नजर आई केंद्र सरकार

पासवान ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि इस बार दिल्ली में हिंसक घटना होने के बाद केंद्र सरकार कार्रवाई में चुस्त नजर आई। खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सड़क पर उतारकर विश्वास का माहौल बनाया और एक दो दिनों में स्थिति नियंत्रण में आ गई। यही तत्परता सुनवाई में भी होनी चाहिए ताकि 1984 की तरह पीडि़तों को न्याय मिलने में दशकों का वक्त न लगे। 


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