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राम मंदिर की सुनवाई टलने पर कानून मंत्री ने दिया बयान, कहा- हम भी चाहते हैं...

अयोध्या राम मंदिर मामले की सुनवाई टलने पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, देश के लोगों को उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा। एक नागरिक के तौर पर मैं कहना चाहता हूं कि यह मुद्दा पिछले 70 सालों से लंबित है, इसे जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 12:09 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 12:09 PM (IST)
राम मंदिर की सुनवाई टलने पर कानून मंत्री ने दिया बयान, कहा- हम भी चाहते हैं...
राम मंदिर की सुनवाई टलने पर कानून मंत्री ने दिया बयान, कहा- हम भी चाहते हैं...

नई दिल्ली, एएनआइ। अयोध्या राम मंदिर मामले की सुनवाई टलने पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान सामने आया है। उन्होंने मंदिर मसले पर कहा, 'देश के लोगों को उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा। एक नागरिक के तौर पर मैं कहना चाहता हूं कि यह मुद्दा पिछले 70 सालों से लंबित है, इसे जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।'

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29 जनवरी को नहीं हो सकी सुनवाई

बता दें कि अयोध्या-बाबरी विवाद मामले को लेकर पुनर्गठित की गई पांच सदस्यीय पीठ 29 जनवरी को भी सुनवाई नहीं कर पाई। दरअसल, मामले की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के एक न्यायाधीश एसए बोबडे के उपलब्ध न होने के कारण 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई निरस्त हो गई। इस कारण अपनी जन्मभूमि पर मालिकाना हक का मुकदमा लड़ रहे भगवान रामलला को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का अभी और इंतजार करना होगा। जल्द सुनवाई की नई तारीख तय होगी। बता दें कि यह सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर होनी है।

25 जनवरी को हुआ पांच सदस्यीय पीठ का पुनर्गठन

उधर, राममंदिर मसले को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में देरी के कारण साधु-संतों में भी नाराजगी है। गौरतलब है कि राम मंदिर मसले को लेकर 25 जनवरी को पांच सदस्यीय बेंच का पुनर्गठन किया गया था।

नई पीठ में कौन-कौन शामिल

सीजेआइ रंजन गोगोई ने 25 जनवरी को अयोध्या विवाद की सुनवाई के लिए नई पीठ का पुनर्गठन किया था। इसमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया। अब बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं। पुनर्गठन में जस्टिस एनवी रमण को शामिल नहीं किया गया।


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