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राम मंदिरः जस्टिस चेलमेश्वर बोले- मामला कोर्ट में रहते भी कानून बना सकती है सरकार

राम मंदिर के मुद्दे पर कानून लाने की चर्चाओं के बीच रिटायर्ड चीफ जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले पर भी सरकार कानून बना सकती है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 12:10 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 12:10 PM (IST)
राम मंदिरः जस्टिस चेलमेश्वर बोले- मामला कोर्ट में रहते भी कानून बना सकती है सरकार
राम मंदिरः जस्टिस चेलमेश्वर बोले- मामला कोर्ट में रहते भी कानून बना सकती है सरकार

नई दिल्ली [एजेंसी]। राम मंदिर के मुद्दे पर कानून लाने की चर्चाओं के बीच रिटायर्ड चीफ जस्टिस चेलमेश्वर ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले पर भी सरकार कानून बना सकती है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि विधायी प्रक्रिया से कोर्ट के फैसले को बदला जा सकता है। इसके कई उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस 

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जस्टिस चेलमेश्वर का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब संघ से लेकर संत समाज और हिंदु संगठन लगातार सरकार पर राम मंदिर का रास्ता साफ करने के लिए कानून लाने का दबाव बना रहे हैं। जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा गया था कि क्या मौजूदा हालात में सरकार राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है।

इस पर उन्होंने  कहा कि इस मामले के दो पहलू हैं, पहला ये कि कानूनी तौर पर यह संभव है और दूसरा ये कि सरकार ऐसा होगा भी या नहीं। उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसे कई मामले हैं जब विधायी प्रक्रिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में रुकावट पैदा की थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक के कावेरी जल विवाद और राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद से जुड़े मामलों का भी जिक्र किया। 

संघ ने कहा- जरूरत पड़ी तो आंदोलन करेंगे

गौरतलब है कि शुक्रवार को ही संघ की प्रेसवार्ता में सरकार्यवाह सुरेश जोशी ने कहा था कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है। जरूरत पड़ी तो संघ परिवार राम मंदिर के लिए 1992 की तरह आंदोलन भी करेगा। 

चेलमेश्वर ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
उल्लेखनीय है कि जस्टिस चेलमेश्वर जनवरी 2018 में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों में शामिल थे। तब सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार सार्वजनिक तौर पर जजों ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।


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