मध्य प्रदेश में आदिवासी चेहरे पर भाजपा खेल सकती राज्यसभा चुनाव का दांव
भाजपा तीसरी सीट पाने के लिए जोड़-तोड़कर सकती है। इस तीसरी सीट पर निर्दलीयों की भूमिका अहम होगी।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा चुनाव के लिए आदिवासी चेहरे पर दांव खेल सकती है। इसके लिए पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है। पूर्व मंत्री रंजना बघेल या किसी भी आदिवासी चेहरे पर भाजपा दांव लगा सकती है। रंजना धार जिले का प्रतिनिधित्व करती हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में मालवा और निमाड़ में अधिकांश आदिवासी बहुल सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
मध्य प्रदेश में इस साल अप्रैल में खाली होने वाली राज्यसभा की तीन सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर घमासान शुरू हो गया है। मौजूदा हालात में भाजपा के पास दो सीटें हैं, जबकि कांग्रेस सिर्फ एक पर काबिज है। अप्रैल में तीनों सीटें खाली हो रही हैं। जाहिर है कि इन सीटों के लिए कई दावेदार उभरकर सामने आ रहे हैं।
दोनो ही पार्टियों में जारी है उठापटक
भाजपा से अभी प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया राज्यसभा के सदस्य हैं। झा का दूसरा कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं कांग्रेस की सीट पर दिग्विजय सिंह का कब्जा है। मौजूदा सियासी गणित के तहत विधानसभा की दलीय स्थिति में एक सीट भाजपा और दूसरी कांग्रेस को मिलेगी परतीसरी सीट को लेकर दोनों ही पार्टियों में उठापठक जारी है।
तीसरी बार राज्यसभा सदस्य बनना चाहते हैं प्रभात झा
भाजपा तीसरी सीट पाने के लिए जोड़-तोड़कर सकती है। इस तीसरी सीट पर निर्दलीयों की भूमिका अहम होगी। भाजपा में कई दावेदार राज्यसभा चुनाव के दावेदारों के लिए भाजपा में दावेदारों की कमी नहीं है। मौजूदा सांसद प्रभात झा तीसरी बार राज्यसभा सदस्य बनना चाहते हैं तो वहीं पार्टी के दूसरे नेताओं की दावेदारी भी प्रबल बताई जा रही है। इस बार राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी दौड़ में शामिल है। इसके अलावा महाकौशल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पूर्व महाधिवक्ता रविनंदन सिंह का नाम भी चर्चा में है।
दो मंत्री रह चुकी हैं रंजना बघेल
विनोद गोटिया एक बार राज्यसभा चुनाव लड़ चुके हैं इसलिए वे भी दावा कर रहे हैं पर पार्टी का झुकाव आदिवासी नेताओं की तरफ है। एक गुट आदिवासी नेता को सदस्य बनाना चाह रहा है। धार जिले से मंत्री रही रंजना बघेल का नाम तेजी से चर्चा में आया है। बघेल 1990 में पहली बार सबसे कम उम्र की विधायक बनी थीं। तब उन्हें पटवा कैबिनेट में संसदीय सचिव भी बनाया गया था। रंजना बघेल शिवराज कैबिनेट में भी दो बार मंत्री रह चुकी हैं। दूसरी वजह मालवांचल में हुई हार की भरपाई के लिए पार्टी इस इलाके से आदिवासी नेतृत्व ख़़डा करना चाहती है। इसके लिए रंजना का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की ताजपोशी के दौरान भी रंजना को पार्टी ने मंच संचालन की जिम्मेदारी सौंपी थी। चंबल-ग्वालियर से अनुसूचित जाति कोटे से आने वाले लालसिंह आर्य का नाम भी चर्चा में है।
मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति नामों का पैनल बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति को भेज देती है। जिस पर केंद्रीय चुनाव समिति निर्णय लेकर प्रत्याशी तय करती है। ये सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व के अधिकार क्षेत्र का विषय है।