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कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए दे सकती है उपसभापति पद की कुर्बानी, NDA को लग सकता है झटका

राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में मानसून सत्र में नये उपसभापति का चुनाव होना तय है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 07:34 PM (IST)
कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए दे सकती है उपसभापति पद की कुर्बानी, NDA को लग सकता है झटका
कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए दे सकती है उपसभापति पद की कुर्बानी, NDA को लग सकता है झटका

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कैराना में विपक्षी दलों की एकजुटता से भाजपा को मात देने की कामयाबी को जारी रखने के लिए कांग्रेस राज्यसभा के उपसभापति पद की कुर्बानी दे सकती है। उपसभापति का पद एनडीए खेमे में जाने से रोकने के लिए कांग्रेस विपक्षी खेमे के वरिष्ठ सदस्य की उम्मीदवारी का समर्थन करने से भी परहेज नहीं करेगी। विपक्ष की उपसभापति पद के लिए दावेदारी मजबूत करने की शुरू हुई इस कसरत में कांग्रेस ने परोक्ष रूप से बीजू जनता दल से भी संपर्क साधा है।

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पार्टी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि कि तूणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी उपसभापति पद को एनडीए की जद में जाने से रोकने के लिए सक्रिय हो गई हैं। बताया जा रहा है कि इस क्रम में दीदी ही बीजद को विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए राजी करने की पहल कर रही हैं। विपक्षी खेमे का दावा है कि बीजद से पहले दौर की शुरुआती चर्चा सकारात्मक रही है। इसी तरह विपक्षी खेमा हाल में ही एनडीए छोड़ने वाले टीडीपी नेता आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन मिलने को लेकर भी आश्वस्त नजर आ रहे हैं।

हालांकि अनौपचारिक चर्चा में कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने शुक्रवार को माना कि बीजद या टीडीपी सरीखे दलों को समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी को कुर्बानी देनी पड़ सकती है। बीजद या टीडीपी सीधे कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन करेंगे इसको लेकर संदेह है, जबकि ममता की पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करने में इन्हें कोई दिक्कत नहीं है।

राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में मानसून सत्र में नये उपसभापति का चुनाव होना तय है। राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी तो बन चुकी है मगर एनडीए का बहुमत नहीं है। अन्नाद्रमुक का समर्थन सत्तापक्ष को जाएगा यह तय माना जा रहा है। इस लिहाज से एनडीए और विपक्षी खेमे के बीच सियासी तराजू का संतुलन बीजद और टीडीपी जैसी पार्टियां के रुख से तय होगा। भाजपा की ओडिशा में आक्रामक सियासी तैयारी को देखते हुए विपक्षी खेमा उम्मीद कर रहा है कि बीजद अब एनडीए को किसी तरह से समर्थन देने से परहेज करेगा।


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