राजनाथ सिंह ने ट्वीट में कहा, असम में नागरिकता साबित करने के मिलेंगे पर्याप्त अवसर
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 30 जुलाई को प्रकाशित होने वाला एनआरसी सिर्फ एक मसौदा है। इस पर दावों और आपत्तियों के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अवसर दिया जाएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के प्रकाशन से पहले फैल रही अफवाहों से आम लोगों को सावधान करने के लिए रविवार को खुद गृह मंत्री राजनाथ सिंह मैदान में उतरे। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को घबराने की जरूरत नहीं है। सभी वास्तविक भारतीयों को अपनी नागरिकता साबित करने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। एनआरसी का पहला मसौदा बीते साल की 31 दिसंबर को प्रकाशित हुआ था। इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे।
अपने कई ट्वीट में उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षरित 'असम समझौते' के अनुरूप इस रजिस्टर का प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को प्रकाशित होने वाला एनआरसी सिर्फ एक मसौदा है। इस पर दावों और आपत्तियों के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अवसर दिया जाएगा।
उन्होंने आश्वस्त किया कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से चलाई जा रही है और यह इसी तरह चलती रहेगी। गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता नियम कहते हैं कि दावों और आपत्तियों के नतीजे से असंतुष्ट लोग विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं। इसलिए एनआरसी के प्रकाशन के बाद किसी को हिरासत केंद्र में रखने का सवाल ही नहीं है।
एनआरसी जारी करने वाला असम एकमात्र राज्य
असम एकमात्र राज्य है, जहां एनआरसी की व्यवस्था है। पहला एनआरसी 1951 में तैयार हुआ था। उस वक्त वहां 80 लाख नागरिक थे। असम में अवैध प्रवासियों की पहचान की मांग को लेकर 'आसू' ने 1979 में छह साल तक आंदोलन किया था। 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर दस्तखत के साथ यह आंदोलन खत्म हुआ था। एनआरसी तैयार करने की मौजूदा कवायद 2005 में कांग्रेस सरकार में शुरू हुई थी।