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Rajasthan Political Crisis: गवर्नर व सीएम में टकराव जारी, कैबिनेट ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए फिर भेजा प्रस्ताव

राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र और अशोक गहलोत सरकार के बीच टकराव जारी है। इसी बीच विधानसभा सत्र बुलाने के लिए फिर प्रस्ताव भेजा गया है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 02:49 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 05:38 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: गवर्नर व सीएम में टकराव जारी, कैबिनेट ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए फिर भेजा प्रस्ताव
Rajasthan Political Crisis: गवर्नर व सीएम में टकराव जारी, कैबिनेट ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए फिर भेजा प्रस्ताव

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र और अशोक गहलोत सरकार के बीच टकराव जारी है। प्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम के बीच अशोक गहलोत मंत्रिमंडल ने मंगलवार को पांच दिन में तीसरी बार बैठक कर विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने को लेकर मुहर लगाई। मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग के माध्यम से राजभवन भेजकर 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया गया है । मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यपाल मिश्र की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर चर्चा हुई, लेकिन गहलोत मंत्रिमंडल ने कहा कि राज्यपाल ने जो 3 आपत्तियां जताई है, उनमें से 2 विधानसभा स्पीकर व 1 राज्य सरकार से संबंधित है। इस कारण राज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 

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मंत्रिमंडल ने अब तक की विभिन्न विधानसभाओं में शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाए जाने की विस्तृत जानकारी राज्यपाल को प्रस्ताव के साथ भेजी है । मंत्रिमंडल ने कहा कि मिश्र के राज्यपाल रहते हुए वर्तमान विधानसभा में ही चार बाद दस दिन से कम समय के नोटिस पर सत्र बुलाया जा चुका है। मंत्रिमंडल कर बैठक के बाद राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्‍यपाल विधानसभा अध्‍यक्ष के काम में हस्‍तक्षेप न करें। सरकार 31 जुलाई को बैठक बुलाना चाहती है न कि 21 दिन का नोटिस जारी करने के बाद दो बार प्रस्ताव भेजकर 31 जुलाई से सत्र बुलाने का आग्रह राज्यपाल से किया जा चुका है। 

राज्यपाल  स्पीकर का काम स्पीकर को करने दें

हरीश चौधरी ने कहा कि राज्यपाल सरकार का काम सरकार को और स्पीकर का काम स्पीकर को करने दें। राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुरूप ही काम करें । सरकार के पास बहुमत है । उन्होंने स्‍पष्‍ट किया कि राज्‍यपाल की तीनों अपत्तियां सरकार को मंजूर नहीं हैं । हरीश चौधरी ने कहा कि राज्यपाल की तीन बातों में से दो सरकार से संबंधित नहीं है। वहीं 21 दिन का नोटिस देना सरकार का अधिकार है, राज्‍यपाल का नहीं । विधानसभा सत्र बुलाना सरकार का हक है ।

राज्यपाल की आपत्तियां गहलोत सरकार को मंजूर नहीं

करीब ढ़ाई घंटे तक चली बैठक में राज्यपाल मिश्र की ओर से उठाई गई 3 आपत्तियों पर मंथन हुआ । विधानसभा सत्र बुलाने की गहलोत सरकार की मांग पर राज्‍यपाल ने इन तीन बातों पर स्‍पष्‍टीकरण मांगा था । राज्‍यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने की बात कही है, वहीं गहलोत सरकार 31 जुलाई को सत्र बुलाना चाहती है। राज्यपाल ने दूसरी बात पूछी है कि यदि आप बहुमत साबित करना चाहते हैं तो लिखित में बताइए कि विश्‍वासमत के लिए सदन का सत्र बुलाना है और उसका लाइव प्रसारण किया जाए।

राज्‍यपाल ने कोरोना संक्रमण से उपजे हालात को लेकर भी आपत्ति जताई

राज्‍यपाल ने कोरोना संक्रमण से उपजे हालात को लेकर भी आपत्ति जताई है। उन्‍होंने गहलोत सरकार से पूछा है कि विधानसभा में कोरोना संक्रमण से कैसे बचाया जाएगा। 200 विधायकों और 1000 कर्मचारियों के बीच सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन कैसे होगा । सरकार का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना और लाइव प्रसारण करना है या नहीं यह स्पीकर का काम है। वहीं सत्र कितने दिन में बुलाया जाए यह तय करना सरकार का काम है। राज्यपाल को मंत्रिमंडल का प्रस्ताव मानना ही होता है ।

मंत्री बोले,राज्यपाल कौन होते हैं पूछने वाले

राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि राज्यपाल हमसे बहुमत साबित करने को लेकर पूछ रहे हैं । हमें बहुमत साबित करने की जरूरत नहीं है,क्योंकि हम पहले से ही बहुमत में है।उन्होने कहा,राज्यपाल कौन होते हैं पूछने वाले कि सत्र क्यों बुलाया जा रहा है । उन्होंने कहा हमने तीसरी बार प्रस्ताव भेजा है,फिर भी यदि विधानसभा सत्र नहीं माना जाता है तो एक बार फिर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाएंगे और केंद्र सरकार से कहेंगे कि सीआरपीएफ बुलाकर हमें जेल में डाल दीजिये,चुनाव में हम फिर जीतकर आ जाएंगे ।


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