राजस्थान के राज्यपाल और गहलोत सरकार के बीच बनी सहमति, 14 अगस्त से बुलाया विधानसभा सत्र
राज्यपाल और सरकार के बीच विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सहमति बन गई। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के आदेश जारी किए।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र और अशोक गहलोत सरकार के बीच पिछले 12 दिन से चल रहा टकराव अब खत्म होता नजर आ रहा है। राज्यपाल और सरकार के बीच विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सहमति बन गई।
राज्यपाल ने 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के आदेश किए जारी
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने के आदेश जारी किए। राज्यपाल ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया है कि विधानसभा सत्र के संचालन के दौरान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी उपाय किए जाएं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व विधानसभा स्पीकर डॉ. सी.पी. जोशी ने बुधवार को राज्यपाल से अलग-अलग मुलाकात कर उन्हे विश्वास दिलाया कि कोरोना महामारी को लेकर उनकी आशंका का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
विधानसभा के अंदर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा, प्रवेश द्वार पर होगी स्क्रीनिंग
सदन के अंदर विधायकों व अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाएगा। विधानसभा के प्रवेश द्वार पर सभी की स्क्रीनिंग कराई जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो कोरोना जांच भी करा ली जाएगी। विधायकों के साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों को मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग करने के लिए कहा जाएगा।
सीएम और स्पीकर ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा और सदन बुलाने पर बनी सहमति
सूत्रों के अनुसार सीएम ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा और कहा कि वे राज्य के प्रथम नागरिक हैं, इसलिए सभी उनका सम्मान करते हैं। राज्यपाल की इच्छा और निर्देश का पालन किया जाएगा। वहीं स्पीकर डॉ. जोशी ने राज्यपाल को विश्वास दिलाया कि सदन के अंदर सोशल डिस्टेसिंग का पूरा पालन कराया जाएगा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच सदन बुलाने पर लगभग सहमति बन गई।
राज्यपाल ने प्रस्ताव तीसरी बार लौटाया, सरकार ने चौथी बार भेजा
राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव बुधवार सुबह तीसरी बार लौटा दिया। गहलोत मंत्रिमंडल ने मंगलवार को बैठक कर 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा था। राज्य सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद राज्यपाल ने विधि विशेषज्ञों से चर्चा की और बुधवार सुबह इस फाइल को वापस लौटा दिया। राजभवन की तरफ से राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को 6 पेज के नोट के साथ प्रस्ताव लौटाया गया है। इसमें सत्र बुलाने को लेकर वे ही आपत्तियां दोहराई गई है जिनका पहले उल्लेख किया गया था।
गहलोत ने की राज्यपाल से मुलाकात और 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने पर बनी सहमति
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने कोरोना महामारी व सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने की बात कहते हुए प्रस्ताव लौटाया है। राज्यपाल द्वारा सरकार का प्रस्ताव मंजूर नहीं करने की जानकारी मिलने के बाद गहलोत बुधवार दोपहर राजभवन पहुंचे। गहलोत ने राज्यपाल के साथ करीब 15 मिनट तक चर्चा की। इस चर्चा में सत्र बुलाने पर सहमति बनी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक कर विधानसभा सत्र आगामी 14 अगस्त से बुलाने का लेकर प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग के माध्यम से राजभवन भेजा । परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल अब इस प्रस्ताव को मंजूर कर सत्र बुलाने की अनुमति देंगे ।
पहले राज्यपाल ने यह कहा था
बुधवार सुबह तक राज्यपाल का कहना था कि जब विधानसभा का बजट सत्र 13 मार्च को कोरोना महामारी का हवाला देते हुए अचानक स्थगित कर दिया गया था, अब जब संक्रमण पहले से अधिक फैल रहा है तो सदन की बैठक बुलाने की क्या जरूरत है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस पर राजभवन में आयोजित होने वाला एटहोम भी कोरोना महामारी के कारण रद्द कर दिया गया है। वर्तमान महौल में एक साथ भीड़ एकत्रित करना कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार ठीक नहीं है।
10 दिन में राज्यपाल से गहलोत ने की चार बार मुलाकात
उल्लेखनीय है कि पिछले 9 दिन में गहलोत मंत्रिमंडल ने तीन बार बैठक कर विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा, लेकिन राजभवन की तरफ से हर बार लौटा दिया गया। 10 दिन में राज्यपाल से गहलोत 4 बार इसी मुद्दे पर मुलाकात कर चुके हैं। बुधवार दोपहर राजभवन की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि संविधान प्रजातंत्र की आत्मा है। नियमानुसार सदन आहूत करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
राज्यपाल का प्रेम पत्र मिला: गहलोत
इससे पहले बुधवार सुबह राज्यपाल की आपत्तियों वाला नोट मिलने पर गहलोत ने कहा था कि प्रेम पत्र तो पहले ही आ चुका है, अब मिलकर पूछूंगा कि क्या चाहते हैं? नोटिस की शर्त को लेकर गहलोत ने कहा कि 21 दिन हों या 31 दिन, जीत हमारी होगी। 70 साल में पहली बार किसी गवर्नर ने इस तरह के सवाल किए हैं।