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'पद्मावत' पर बैन को लेकर बवाल जारी, पेट्रोल लेकर टॉवर पर चढ़ा युवक

पद्मावत पर बैन की मांग को लेकर कई राज्‍यों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। लोग बसों में आग लगा रहे हैं, कई जगहों पर मॉल को भी निशाना बनाया गया है।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 22 Jan 2018 11:16 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 01:41 PM (IST)
'पद्मावत' पर बैन को लेकर बवाल जारी, पेट्रोल लेकर टॉवर पर चढ़ा युवक
'पद्मावत' पर बैन को लेकर बवाल जारी, पेट्रोल लेकर टॉवर पर चढ़ा युवक

नई दिल्ली, जेएनएन। 'पद्मावत' पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बैन की मांग के साथ देश भर से विरोध-प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही हैं। इसके लिए लोग अपनी जान तक की परवाह नहीं कर रहे हैं। राजस्‍थान के भीलवाड़ा में तो एक युवक 350 फिट ऊंचे मोबाइल टॉवर पर पेट्रोल की बोतल लेकर चढ़ गया। युवक का कहना है कि जब तक फिल्म बैन नहीं होती, तब तक वह नीचे नहीं उतरेगा। वह आत्मदाह की भी धमकी दे रहा है। युवक के समर्थन में स्थानीय लोग नारे भी लगा रहे हैं। वहीं पुलिस उसे उतारने के प्रयास में जुटी हुई है।

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करणी सेना फिर गंभीर परिणाम भुगतने की दी धमकी
आपको बता दें कि राजस्‍थान में करणी सेना एक बार फिर चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य में जो भी सिनेमा हॉल इस फिल्म का प्रदर्शन करेगा, उसे गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। गौरतलब है कि पद्मावत पर बैन की मांग को लेकर कई राज्‍यों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। लोग बसों में आग लगा रहे हैं, कई जगहों पर मॉल को भी निशाना बनाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट याचिका पर करेगा कल सुनवाई
मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोनों सरकारों ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपने पिछले आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवाद को बढ़ता हुआ देख याचिका स्वीकार कर ली है। शीर्ष कोर्ट मंगलवार को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा, जिसके बाद यह फैसला लिया जाएगा की फिल्म 25 जनवरी को सिनेमाघरो में रिलीज होगी या नहीं।

बता दें कि इससे पहले भी फिल्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सेंसर बोर्ड के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म पद्मावत को दिए गए सर्टिफिकेट को असंवैधानिक बताया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया था। ये याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था, 'हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में कार्य कर रहे हैं और यह पहले ही कल अंतरिम आदेश में कहा जा चुका है कि राज्य किसी फिल्म की स्क्रीनिंग को नहीं रोक सकता है।'

फिल्म पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सुरक्षा देना राज्‍य सरकार की जिम्‍मेदारी है, हमारी नहीं। इससे पहले याचिका‍कर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि पद्मावत रिलीज होने के बाद अगर देश में कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ती है और दंगे जैसे हालात बनते हैं, तो इसके लिए फिल्म जिम्मेदार होगी।

तमाम विरोध के चलते भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' का नाम बदलकर 'पद्मावत' कर दिया गया, लेकिन बवाल तब भी शांत नहीं हुआ। फिल्म की शूटिंग के दौरान से यह बवाल जारी है। फिल्म पिछले साल एक दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन करणी सेना समेत कुछ राजपूत संगठनों के बवाल को देखते हुए इसकी रिलीज डेट को आगे बढ़ाना पड़ा। कई संगठनों ने तरह-तरह की धमकियां देकर भंसाली और फिल्म के कलाकारों को भी डराने की कोशिश की। कई संगठनों के उग्र विरोध की आशंका में ही कई राज्यों ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। आखिरकार फिल्मकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कोर्ट ने सभी राज्यों में रिलीज को हरी झंडी दिखा दी। हालांकि इसके बावजूद भी बवाल जारी है, जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर विचार करने को तैयार सहमत हुआ है।

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