रायपुर के युवा कलेक्टर ने दिया इस्तीफा, उतरेंगे राजनीति के अखाड़े में
इस्तीफे की खबर आते ही चौधरी मीडिया, यहां तक की करीबी लोगों से भी बचते रहे हैं। अलबत्ता, उन्होंने शनिवार दोपहर बाद फेसबुक के माध्यम से अपने इस्तीफे की पुष्टि की।
नईदुनिया, रायपुर। छत्तीसगढ़ के युवा आइएएस व रायपुर के कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी ने महज 13 वर्ष की सर्विस के बाद इस्तीफा दे दिया है। 2005 बैच के आइएएस चौधरी का इस्तीफा केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही उन्हें पद से हटा दिया गया है।
चर्चा है कि चौधरी सत्तारूढ़ भाजपा की टिकट से रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि, भाजपा की तरफ से अभी इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उधर, इस्तीफे की खबर आते ही चौधरी मीडिया, यहां तक की करीबी लोगों से भी बचते रहे हैं। अलबत्ता, उन्होंने शनिवार दोपहर बाद फेसबुक के माध्यम से अपने इस्तीफे की पुष्टि की।
दंतेवाड़ा के जावंगा एजुकेशन सिटी ने दिलाई पहचान
दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते चौधरी ने जावंगा एजुकेशन सिटी की नींव रखी थी। इसने चौधरी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। नक्सल प्रभावित बच्चों के लिए प्रयास विद्यालय की शुरुआत भी चौधरी की सोच है।
सीएम रमन के बेहद करीबी
चौधरी उन चुनिंदा अफसरों में शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की गुडबुक में शामिल हैं। सीएम सार्वजनिक मंचों से भी चौधरी की सराहना करते रहते हैं।
दीपक सोनी को रायपुर का प्रभार
चौधरी के स्थान पर आइएएस दीपक सोनी (2011) को रायपुर जिले का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सोनी फिलहाल जिला पंचायत रायपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं।
चौधरी का सर्विस रिकार्ड
चौधरी अभी रायपुर कलेक्टर थे। उनकी पहली पदस्थापना दुर्ग जिले में एसडीएम के रूप में हुई थी। इसके बाद वे जांजगीर व सरगुजा जिला पंचायत के सीईओ रहे। करीब 13 महीने तक रायपुर नगर निगम में आयुक्त रहे। यहां से उन्हें दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनाकर भेजा गया। चौधरी जांजगीर कलेक्टर भी रह चुके हैं।
22 की उम्र में बने आइएएस
चौधरी मूलत: रायगढ़ (छत्तीसगढ़) के खरसिया क्षेत्र के बयांग के रहने वाले हैं। महज 22 साल की उम्र वे आइएएस बन गए थे। चौधरी के पिता एक स्कूल टीचर थे। चौधरी के अनुसार जब वे बहुत छोटे थे, तभी पिता का निधन हो गया था। ऐसे में पूरा बचपन संघर्ष में बीता।
आठ महीने से तैयार कर रहे थे मैदान
चौधरी ने इस्तीफे और राजनीति में आने की पृष्ठभूमि करीब आठ महीने पहले ही तैयार करनी शुरू कर दी थी। करीबी सूत्रों के अनुसार इस दौरान वे कई बार खरसिया के दौरे पर गए। वहां समाज के प्रमुखों, प्रबुद्धजनों और अपने युवा साथियों के बीच रायशुमारी की। यही वजह है कि खरसिया के लोगों का रायपुर कलेक्टर के यहां आना-जाना बढ़ गया था।