आदिवासियों को गोली मारने के बयान से पलटे राहुल, कहा- जल्दबाजी में बोल गए थे
राहुल गांधी ने 23 अप्रैल को मध्य प्रदेश के शहडोल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी जी ने नया कानून बनाया है। जिसके तहत पुलिस आदिवासियों को गोली मार सकती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आम चुनाव के दौरान भाजपा पर आरोप जड़ने की तत्परता में राहुल ने गलतियां की थी यह अब वह खुद ही मानने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को आदिवासियों को गोली मारने का कानून बनाए जाने को लेकर बोले गए एक ऐसे ही झूठ से पलटी मार ली है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान रौ में निकल गया था। इससे पहले राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के हवाले से भी एक ऐसी ही गलतबयानी के कारण उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी।
राहुल गांधी ने 23 अप्रैल को मध्य प्रदेश के शहडोल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी जी ने नया कानून बनाया है। जिसके तहत पुलिस आदिवासियों को गोली मार सकती है। यह कानून आदिवासियों पर हमले की छूट देता है। यह आपकी जमीन, आपके जंगल और आपका पानी आपसे छीन लिया और अब कहते हैं कि आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है। अब खुद राहुल इससे पीछे हट गए हैं।
गुरुवार को उनकी ओर से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) को भेजे गए जवाब में सामने आया है। आयोग ने राहुल गांधी को इस टिप्पणी के बाद नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, राहुल गांधी के वरिष्ठ अधिवक्ता की ओर यह जवाब मिला है। जिसमें उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल ने भारतीय वन कानून में किए गए बदलावों के हवाले से यह बात कही थी। जिसमें जंगल को बचाने के लिए वहां लोगों की आवाजाही को रोकने की बात कही गई है।
वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कहा कि राहुल गांधी के जवाब का फिलहाल आयोग परीक्षण करेगा। इसके बाद ही कोई अगला कदम उठाया जाएगा।
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