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आर्थिक सुस्ती को लेकर राहुल ने सरकार पर किया सियासी वार

जीडीपी दर में सुस्ती के ताजा आंकड़ों पर राहुल ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सियासी प्रहार किया।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 06 Jan 2018 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jan 2018 08:47 PM (IST)
आर्थिक सुस्ती को लेकर राहुल ने सरकार पर किया सियासी वार
आर्थिक सुस्ती को लेकर राहुल ने सरकार पर किया सियासी वार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आर्थिक विकास दर में गिरावट के लिए मोदी सरकार की विभाजनकारी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। जीडीपी दर में सुस्ती के ताजा आंकड़ों पर राहुल ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सियासी प्रहार किया। सियासी मसलों पर चुटीले तंज कसने की अपनी नई शैली को जारी रखते हुए राहुल ने जीडीपी को ग्रॉस डिवाइसिव पॉलिटिक्स यानी 'सकल विभाजनकारी राजनीति' का नाम दिया।

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इस तंज के सहारे ही कांग्रेस अध्यक्ष ने यह संदेश देने की कोशिश की कि एनडीए की कथित विभाजन की सियासत का प्रतिकूल असर अर्थव्यवस्था पर हो रहा है। वहीं पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जीडीपी के ताजा आंकड़ों से साफ है कि आर्थिक सुस्ती की हमारी आशंका सच साबित हो रही है।

जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम देकर सुर्खियां बटोर चुके राहुल गांधी ने जीडीपी को सकल विभाजनकारी राजनीति का नया नाम दिया। साथ ही आर्थिक विकास से जुड़े तमाम क्षेत्रों में बीते चार साल के दौरान आयी गिरावट का आकंड़ा देते हुए सरकार पर सवाल दागे। नया निवेश बीते 13 साल में सबसे न्यूनतम, बैंक क्रेडिट 63 साल के सबसे कम, रोजगार सृजन 8 वर्ष के निचले स्तर, कृषि विकास 1.7 फीसद आने से लेकर सकल वित्तीय घाटा 8 वर्ष में सबसे अधिक पहुंचने का आंकड़ा देते हुए राहुल ने पीएम और वित्तमंत्री पर तीर चलाए। राहुल ने ट्वीट में कहा कि जिनियस वित्तमंत्री जेटली और पीएम मोदी की सकल विभाजनकारी राजनीतिक जोड़ी ने अर्थव्यवस्था की हालत को इस दौर में पहुंचा दिया है।

राहुल के तंज के बाद कांग्रेस की ओर से पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने एक विस्तृत बयान जारी कर एनडीए सरकार के आर्थिक प्रबंधन की जमकर खिंचाई की। चिदंबरम ने कहा कि भारत के मजबूत विकास दर के मोदी के सारे दावे खोखले साबित हुए हैं। जीडीपी अनुमानों से साफ हो गया है कि मीडिया के जरिये सरकार अपने विकास के दावों को चाहे कितनी चाशनी में लपेट कर पेश करे वह आर्थिक हकीकत को नहीं बदल सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बीते दो साल से सरकार को जीडीपी में दो फीसद तक गिरावट पर आगाह करती आ रही थी। पिछले तीन साल के जीडीपी के आंकड़े देते हुए चिदंबरम ने कहा कि अब संदेह नहीं रह गया कि पिछले साल के 7.1 की तुलना में 2017-18 में विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी।

चिदंबरम ने कहा कि विकास दर में इस गिरावट का मतलब है कि लाखों की संख्या में नौकरियों का नुकसान हो रहा है। नई योजनाओं की घोषणा में कमी आयी है। नया निवेश बिल्कुल धरातल पर चला गया है। असंगठित क्षेत्र नोटबंदी की मार से उबर नहीं सका है। इन सब की वजह से नई नौकरियों पर लगभग विराम लग गया है। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि आर्थिक परिप्रेक्ष्य में निर्यात में गिरावट हुई है। निर्माण क्षेत्र का विकास लगभग ठप है। कृषि क्षेत्र पर भी गहरी मार पड़ रही है और किसान-मजूदरों में गहरी निराशा है।

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