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राहुल गांधी बोले, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को रोकने में सरकार फेल

कांग्रेस के इस बंद को वैसे तो 21 पार्टियों का समर्थन मिला, मगर 16 पार्टियों के नेता उसके विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 10:12 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 10:12 PM (IST)
राहुल गांधी बोले, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों  को रोकने में सरकार फेल
राहुल गांधी बोले, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को रोकने में सरकार फेल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में इजाफे के खिलाफ भारत बंद के जरिये कांग्रेस ने विपक्ष को साथ लेकर सरकार से दो-दो हाथ करने का संदेश दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि तेल कीमतों को रोकने में सरकार फेल हो गई है।
परेशान जनता को राहत दिलाना तो दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर मुंह नहीं खोल रहे। कांग्रेस का यह भारत बंद इस लिहाज से सियासी रूप से अहम रहा कि पहली बार पार्टी ने जनहित के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ भारत बंद के हथियार का इस्तेमाल किया।

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राहुल ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर कैलास मानसरोवर से लाए गए पवित्र जल को चढ़ाने के बाद महंगाई के खिलाफ मार्च निकाला। राजघाट से राहुल की अगुआई में विपक्षी नेताओं का विरोध मार्च रामलीला मैदान के निकट एक पेट्रोल पंप के सामने पहुंचा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा 16 विपक्षी दलों के नेता यहां बने मंच पर इकट्ठे हुए।

विपक्षी पार्टियों की मौजूदगी से गदगद राहुल ने कहा कि अब एकजुट विपक्ष इस जनविरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जनता से महंगाई कम करने, युवाओं को रोजगार देने, किसानों की लाभकारी मूल्य देने, महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने समेत तमाम वादे कर मोदी सत्ता में आये थे। जनता ने उन पर विश्वास भी किया था।
मगर आज हालत यह है कि पीएम को जनता के दुख-दर्द का अहसास ही नहीं हो रहा। राहुल ने नोटबंदी की नाकामी से लेकर राफेल सौदे के कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने मोदी सरकार पर देश में हर जगह लोगों को आपस में लड़ाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कुछ विपक्षी दलों के सीधे शामिल नहीं होने के सवाल पर कहा कि इसमें सियासत पढ़ना बेमानी होगी, क्योंकि सभी 21 पार्टियों ने इसका समर्थन किया था। सपा-बसपा और वामदलों ने पहले ही अपना अलग विरोध प्रदर्शन की बात कही थी। उत्तर प्रदेश में वाराणसी समेत कई जगहों पर सपा और बसपा के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

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केंद्र ने पार की हदें : मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि सरकार ने चार साल में तमाम ऐसे फैसले किए हैं, जिसने आम आदमी, गरीबों, युवाओं और किसानों को चोट पहुंचाई है। विरोध प्रदर्शन में शामिल राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी तेल मूल्यों में भारी इजाफे को आम आदमी के साथ किसानों पर जबरदस्त वार करार दिया। पवार ने इस बात पर भी जोर दिया कि विपक्षी दलों का भाजपा सरकार के खिलाफ यह अभियान पूरी शिद्दत से आगे भी जारी रहना चाहिए।

16 पार्टियों के नेता शामिल 
कांग्रेस के इस बंद को वैसे तो 21 पार्टियों का समर्थन मिला, मगर 16 पार्टियों के नेता उसके विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी बंद में शामिल हुई। समाजवादी पार्टी और बसपा के नेता रामलीला मैदान के मंच पर तो नहीं आए, मगर उत्तर प्रदेश में अलग-अलग विरोध प्रदर्शन कर बंद का समर्थन किया।

तृणमूल कांग्रेस सीधे बंद में शामिल नहीं हुई, मगर विरोध प्रदर्शन में ममता ने अपने नेता सुखेंदु शेखर राय को भेजा। वामपंथी दलों ने भी बंद का समर्थन किया मगर कांग्रेस के मंच के बजाय जंतर-मंतर पर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, राजद के मनोज झा, जदएस के दानिश अली, आप के संजय सिंह सरीखे विपक्षी चेहरे कांग्रेस के मार्च में शामिल हुए।


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