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'मन की बात' पर राहुल का तंज, बोले- जेईई और नीट की जगह प्रधानमंत्री ने की 'खिलौने पर चर्चा'

मन की बात पर राहुल का तंज बोले- जेईई और नीट की जगह प्रधानमंत्री ने की खिलौने पर चर्चा

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 04:54 PM (IST)
'मन की बात' पर राहुल का तंज, बोले- जेईई और नीट की जगह प्रधानमंत्री ने की 'खिलौने पर चर्चा'
'मन की बात' पर राहुल का तंज, बोले- जेईई और नीट की जगह प्रधानमंत्री ने की 'खिलौने पर चर्चा'

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' कार्यक्रम पर तंज कसा है। पीएम मोदी ने आज रविवार को स्‍थानीय खिलौनों को बढ़ावा देने से लेकर मोबाइल ऐप्‍स, पोषण और कृषि पर बात की। राहुल गांधी ने कोरोना काल में आयोजित होने जा रही जेईई और नीट परीक्षाओं को हथ‍ियार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला। राहुल ने ट्वीट कर कहा कि जेईई और नीट के परीक्षार्थी चाहते थे कि प्रधानमंत्री 'परीक्षा पे चर्चा' करें लेकिन उन्‍होंने 'खिलौने पर चर्चा' कर डाली।' राहुल ने पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए #Mann_Ki_Nahi_Students_Ki_Baat (मन की नहीं स्‍टूडेंट्स की बात) हैशटैग का भी इस्‍तेमाल किया। 

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कांग्रेस इन दिनों जेईई और नीट की होने वाली परीक्षाओं को मुद्दा बनाया है। कांग्रेस मांग कर रही है कि कोरोना के इस दौर में होने वाली इन परीक्षाओं को टाल दिया जाए। कांग्रेस ने कहा है कि मौजूदा वक्‍त में देश कोरोना महामारी और बाढ़ की समस्‍या से जूझ रहा है ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए इन परीक्षाओं को टाल दिया जाना चाहिए। राहुल गांधी ने बीते दिनों महामारी के बीच नीट एवं जेईई की परीक्षाएं कराने के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार को सभी पक्षों से बातचीत करके सहमति बनाते हुए समाधान निकालना चाहिए। सरकार की अक्षमता के चलते छात्रों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। 

उल्‍लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम की 68वीं कड़ी में स्थानीय खिलौनों की समृद्ध भारतीय परंपरा का जिक्र करते हुए स्टार्ट-अप एवं नए उद्यमियों से खिलौना उद्योग से बड़े पैमाने पर जुड़ने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का है लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। देश में स्थानीय खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। अब स्थानीय खिलौनों के लिए आवाज बुलंद करने का वक्त आ गया है। 


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