इस्तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी ने की NCP नेता शरद पवार से मुलाकात
राहुल गांधी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मिलने उनके घर पहुंचे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद पार्टी नेताओं से मिलने से इनकार कर रहे राहुल गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात का दरवाजा खोल दिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री जनतादल सेक्यूलर नेता एचडी कुमारस्वामी लोकसभा चुनाव की हार के बाद राहुल से मुलाकात करने वाले पहले विपक्षी नेता रहे। वहीं राहुल ने खुद विपक्षी खेमे के बड़े चेहरों में शामिल एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर जाकर उनसे मुलाकात की।
लोकसभा चुनाव की हार के बाद पैदा हुई परिस्थितियों में विपक्षी सियासत को आगे बढ़ाने के लिहाज से राहुल गांधी की शरद पवार से हुई मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। राहुल-पवार मुलाकात में हुई चर्चा को लेकर दोनों में से किसी पक्ष की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई। मगर माना जा रहा कि दोनों ने राजनीति की मौजूदा चुनौतियों के बीच विपक्षी सियासत की भावी दशा-दिशा पर चर्चा की। राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की अपनी पेशकश पर अडिग रहने के मद्देनजर पवार से उनकी मुलाकात के मायने हैं। खासतौर पर यह देखते हुए कि कांग्रेस के अलावा उसके सहयोगी दलों के नेता भी राहुल गांधी से इस्तीफे का इरादा छोड़ने का अनुरोध कर चुके हैं।
कांग्रेस संसदीय दल की बैठक शनिवार 1 जून को प्रस्तावित है। इसमें पार्टी संसदीय दल का नेता चुना जाएगा जो लोकसभा में विपक्षी खेमे का सबसे बड़ा नेता होगा। कांग्रेस को लोकसभा में 52 सीटें मिली हैं। ऐसे में उसे विपक्ष का आधिकारिक दर्जा मिलने की गुंजाइश कम है क्योंकि इसके लिए उसे कम से कम 55 सीटें होनी चाहिए थी। अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके राहुल अपना फैसला बदलने को राजी नहीं हुए तो कांग्रेस उन्हें संसदीय दल का नेता बनने का प्रस्ताव देने पर गंभीर है। इस लिहाज से भी राहुल की पवार से मुलाकात के सियासी मायने हैं।
पवार से मिलने जाने से पूर्व राहुल गांधी ने तुगलक लेन के अपने आवास पर कुमारस्वामी से मुलाकात की। इस दौरान कर्नाटक के सीएम ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ही नहीं देश को भी उनके नेतृत्व की जरूरत है। कुमारस्वामी ने कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की लोकसभा चुनाव में हार के पहलूओं पर भी चर्चा की। साथ ही कांग्रेस नेतृत्व को आश्वस्त किया कि भाजपा की अस्थिरता पैदा करने की कोशिश के बाद भी कर्नाटक सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
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