राहुल गांधी का दावा, RCEP भारतीय अर्थव्यवस्था को बनाएगा पंगु, लाखों नौकरियां जाएंगी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि आरसेप( RCEP) भारतीय अर्थव्यवस्था को बिगाड़ देगा और भारत में सस्ते सामानों की बाढ़ आ जाएगी।
नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि आरसेप( RCEP) भारतीय अर्थव्यवस्था को बिगाड़ देगा और भारत में सस्ते सामानों की बाढ़ आ जाएगी। इससे लाखों लोगों की नौकरियां जाएंगी।
Senior Congress leader Rahul Gandhi claimed that RCEP will cripple the Indian economy and 'flood' India with cheap goods which will cost millions of jobs
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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हिंदुस्तान एक भयानक आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। भाजपा के पिछले 6 साल के शासन में 90 लाख से ज्यादा नौकरियां नष्ट हो गईं। रासेप (RCEP)यानी किसान सत्यानाश समझौता इस बीमारी को और भयंकर बना देगा। भारत के लिए रासेप समझौते में शामिल होने का इससे गलत समय नहीं हो सकता।
पीएम मोदी ने कहा, भारत अपने हितों से नहीं करेगा समझौता
समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में अपने हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत यह देखेगा कि आरसेप समझौते में व्यापार, सेवाओं और निवेश पर उसकी चिंताओं को पूरी तरह से समायोजित किया जा रहा है या नहीं।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का स्पष्ट मानना है कि पारस्परिक रूप से लाभप्रद आरसेप (RCEP), जिससे सभी पक्ष यथोचित लाभ प्राप्त करते हैं, वह भारत समेत वार्ता में शामिल अन्य देशों के हित शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत शिखर बैठक में आरसेप की वार्ता में प्रगति की समीक्षा करेगा।
प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी 10 आसियान देशों (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) और छह व्यापार देशों -भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के वार्ताकारों की बातचीत के दौरान की। आसियान देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलीपींस, लाओस और विएतनाम शामिल हैं।
आरसेप को लेकर सोमवार को होनी है अहम बैठक
गौरतलब है कि थाईलैंड में चल रही आसियान समिट के दौरान आरसेप को लेकर आसियान के सदस्य देशों और छह अतिरिक्त देशों (भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड) के बीच मुक्त व्यापार समझौता होगा।
वर्ष 2012 में भारत ने इसमें शामिल होने की रजामंदी जताई थी, लेकिन चीन से बढ़ते सस्ते आयात की वजह से भारत का रुख अब बदला हुआ है। साथ ही देश में एक सियासी रूप भी ले चुका है। इस समझौते को लेकर कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत आरएसएस के कुछ सहयोगी संगठन खिलाफ हैं। यही वजह है कि मोदी सरकार उहापोह में है। सोमवार को आरसेप को लेकर बैंकॉक में भी सभी 16 सदस्य देशों की अहम बैठक होनी है।